बेटा के साथ लेकर जा रही हूं डुमरांव का अहसान
जब तक इस शरीर में सांस चलेगी, डुमरांव के लोगों को मैं नहीं भूल सकती। आप सबों का बहुत बड़ा एहसान अपनी बेटे के साथ लेकर जा रही हूं। इस समय अपने जीवन में शायद ही चुका पाऊं।
बक्सर । जब तक इस शरीर में सांस चलेगी, डुमरांव के लोगों को मैं नहीं भूल सकती। आप सबों का बहुत बड़ा एहसान अपनी बेटे के साथ लेकर जा रही हूं। इस समय अपने जीवन में शायद ही चुका पाऊं। यह कहना था नेपाल की शकुंतला देवी नामक उस मां का, जो चार दिनों से लापता अपने बेटे को डुमरांव में सकुशल देख पाई थी। दरअसल, उसका बेटा श्रीराम कृष्ण केसी ट्रेन से सफर के दौरान अचानक लापता हो गया था। 11 नवंबर को वह सफर के दौरान डुमरांव स्टेशन पर तूफान एक्सप्रेस से गिरकर गंभीर रूप से जख्मी हो गया। सिर में अत्यधिक चोट लगने के कारण वह अपना नाम पता नहीं बता पा रहा था। बेहोश पड़े रामकृष्ण को यात्री कल्याण समिति के अध्यक्ष राजीव रंजन ¨सह तथा जीआरपी और आरपीएफ के सहयोग से अनुमंडल अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां इलाज के बाद उसकी हालत में सुधार हुई और वह अपने घर का पता बता सका। उधर, बेटे की कुशलता के लिए व्याकुल मां को जैसे ही इसकी जानकारी मिली कि उसका बेटा ट्रेन से गिरकर जख्मी हो गया है तथा डुमरांव अस्पताल में है। वह दौड़ी भागी डुमरांव पहुंची। उसे तनिक भी उम्मीद नहीं थी कि उसे अपने बेटे का हंसता-मुस्कुराता चेहरा देखने को मिलेगा। जब वह डुमरांव पहुंची तो ना सिर्फ उसका इलाजरत बेटा सकुशल मिल गया बल्कि, घर जैसी सेवा सुश्रुषा देख गदगद हो गई। बुधवार को अस्पताल से घर जाने के लिए छुट्टी मिली तो लोगों को बार-बार कह रही थी कि बेटा के साथ आप सभी का बहुत बड़ा एहसान बहुत बड़ा उपकार साथ नेपाल लेकर जा रही हूं। इसे ¨जदगी भर भूल नहीं पाऊंगी।