महिलाओं ने किया गंगा स्नान, जिउतिया पर्व आज
व्रती महिलाओं ने शनिवार की सुबह गंगा में स्नान कर तनमन की शुद्धि की और घर जाकर मडुआ आटा (एक प्रकार का अनाज) से बनाई गई लिट्टी संग सतपुतिया एवं नोनी साग का पारण किया।
बक्सर । व्रती महिलाओं ने शनिवार की सुबह गंगा में स्नान कर तनमन की शुद्धि की और घर जाकर मडुआ आटा (एक प्रकार का अनाज) से बनाई गई लिट्टी संग सतपुतिया एवं नोनी साग का पारण किया। महिलाओं ने बताया कि रविवार को वो पूरे दिन अन्न-जल ग्रहण नहीं करेंगी। दरअसल, आश्विन कृष्णपक्ष की अष्टमी में जिउतिया व्रत रखने की परंपरा सदियों से रही है। मान्यता के अनुसार इस दिन जो मां इस व्रत को रखती हैं उनका पुत्र दीर्घायु होता है। धर्म शास्त्रों के कथा प्रसंग में भी इस बात का उल्लेख मिलता है कि उनके पुत्रों की रक्षा जीमूतवाहन करते हैं। स्नान पश्चात रविवार को व्रती महिलाएं इसी कथा प्रसंग का श्रवण करेंगी। कर्मकांडियों के अनुसार यह परम्परा द्वापर युग से ही चली आ रही है। इस तिथि में पुत्रवती मां अपने पुत्र के लंबे जीवन की कामना हेतु निर्जला व्रत करती हैं और दूसरे दिन नवमी तिथि को पारण करती है। सतपुतिया 60 और नोनी साग बिका सौ के भाव जिउतिया पर्व को लेकर शनिवार को मंडी में सब्जियों में सतपुतिया और नोनी साग की मांग बढ़ी हुई थी। इस कारण विक्रेताओं ने इन चीजों के भाव बढ़ा रखे थे। विक्रेताओं का कहना था कि पर्व पर खास प्रकार की छोटी साइज की सतपुतिया की डिमांड रहती है। इस कारण यह महंगी बिकती है। जिसकी बिक्री 60 से 80 रुपये प्रतिकिलो की दर से की गई। वहीं, नोनी साग सौ के भाव बेचा गया। दरअसल, व्रती महिलाएं इन चीजों का सेवन व्रत से पूर्व करती हैं। इस कारण इसकी मांग बढ़ी हुई थी। सराफा कारोबार उम्मीद से रहा आधा पर्वो को लेकर सराफा मंडी में चहल-पहल रही। इस दौरान महिलाएं पुत्री के लिए चांदी एवं पुत्र के लिए सोने से निर्मित जिउतिया की खरीदारी कर रही थीं। वहीं, नजदीक के पटेहरों से इसकी गुथाई भी कराई जा रही थी। इस मौके पर सराफा दुकानदार मनोज जायसवाल, विनय वर्मा आदि ने बताया कि 380 मिली ग्राम से लेकर तीन ग्राम के जिउतिया की बिक्री की गई। जिसकी कीमत 12 सौ रुपये से लेकर लगभग 10-11 हजार रुपये थे। वहीं, चांदी के 80-100 रुपये प्रति के भाव बेचे गए। बिक्री को लेकर सराफा दुकानदारों ने बताया कि इस बार कारोबार गत वर्ष की तुलना में आधा रहा। आज 2.40 बजे तक है अष्टमी तिथि हिदू पांचांग के अनुसार अष्टमी तिथि का आगमन शनिवार को ही अपराह्न 3.33 बजे के बाद से हो गया है। जो रविवार को दिन में 2.40 बजे तक है। अत: आज रविवार को ही जीवित्पुत्रिका का व्रत का उपवास तथा प्रदोष काल में जीमूतवाहन का पूजन कर लेना उचित रहेगा। आचार्य मुक्तेश्वरनाथ शास्त्री ने बताया कि व्रती महिलाएं अगले दिन सोमवार को प्रात:काल में ही पारण कर लें।