व्रत रख आज महिलाएं करेंगी सुहाग के दीर्घायु की कामना
हरतालिका तीज भाद्रपद मास के शुक्लपक्ष की तृतीया को मनाया जाता है। आचार्यों के मुताबिक यह बुधवार को पड़ रहा है। पर्व के दौरान महिलाएं अपने सुहाग की रक्षा हेतु आज दिनभर और रातभर निर्जला व्रत धारण करेंगी और शाम में सोलह श्रृंगार कर भगवान शिव व माता पार्वती की आराधना करेंगी।
बक्सर । हरतालिका तीज भाद्रपद मास के शुक्लपक्ष की तृतीया को मनाया जाता है। आचार्यों के मुताबिक यह बुधवार को पड़ रहा है। पर्व के दौरान महिलाएं अपने सुहाग की रक्षा हेतु आज दिनभर और रातभर निर्जला व्रत धारण करेंगी और शाम में सोलह श्रृंगार कर भगवान शिव व माता पार्वती की आराधना करेंगी। इसके पश्चात अगले दिन गुरुवार की सुबह पारण कर अपना व्रत समाप्त करेंगी। तीज व्रत को लेकर मंगलवार को पूरे दिन बाजार गुलजार रहा।
सबसे ज्यादा भीड़ सोने-चांदी और कपड़ों की दुकानों में देखने को मिली। वहीं, फल बाजार में भी खरीदारों की भीड़ रही। कहते हैं,'हर'भगवान भोलेनाथ का ही एक नाम है। शिव को पति के रूप में प्राप्त करने को मां पार्वती ने इस व्रत को रखा था। इसी कारण इस पावन व्रत का नाम हरतालिका तीज रखा गया। कुंवारी लड़कियां भी रख सकती हैं व्रत। सुख-समृद्धि की लालसा में मनाए जाने वाले इस पर्व को सौभाग्यवती स्त्रियां लगन व विश्वास के साथ तो रखती ही हैं, पंडित मुक्तेश्वर शास्त्री का कहना है कि अपने मनोनुरूप वर की इच्छा प्राप्ति हेतु कुंवारी लड़कियां भी इस व्रत को कर सकती हैं। इसी कारण इसे संकल्प शक्ति वाला त्योहार भी माना गया है। जिसे श्रद्धा व पूरी निष्ठा से किया जाना चाहिए। सभी पापों को हरने वाला व्रत मान्यता है कि यह व्रत सभी पापों व सांसारिक तापों को हरने वाला है। जो नारियां इस व्रत को विधि पूर्वक करती हैं, उनके सौभाग्य की रक्षा स्वयं भगवान शिव करते हैं। शिवपुराण में है हरितालिका तीज की कथा
शिव पुराण के एक कथानुसार इस व्रत को सबसे पहले राजा हिमवान की पुत्री माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त करने हेतु किया था। उनके इस तप और आराधना से खुश होकर भगवान शिव ने माता को पत्नी के रूप में स्वीकार किया था। इस व्रत को सुहागनसोलह श्रृंगार कर शुभ मुहूर्त में पूजा करती हैं। महिलाएं हरितालिका तीज की कथा सुनती हैं।