सरकारी स्कूलों के बच्चों में अमीर-गरीब का भेद पैदा कर रही सरकार, जानिए कैसे
सरकार की नीति से सरकारी स्कूल के बच्चों के बीच में भी अमीर-गरीब का भेद पैदा किया जा रहा है। पोशाक राशि में भी एपीएल और बीपीएल का लोचा है। दरअसल इसमें भी कैटेगरी बन गई है।
बक्सर [राजेश तिवारी]। वित्तीय वर्ष 2018-19 में राज्य सरकार ने आठवीं तक के स्कूलों में पढऩे वाले बच्चों की पोशाक राशि में बढ़ोत्तरी की है। बच्चों के लिए यह खुशी की बात है, लेकिन, हैरत यह है कि इससे बाल मन में भी अमीर-गरीब का भेद पैदा हो रहा है।
पोशाक राशि में एपीएल और बीपीएल का लोचा भी है। दरअसल इसमें भी कैटेगरी बन गई है। अब एपीएल की श्रेणी के बच्चे 400 रुपये में पोशाक बनवाएंगे तो बीपीएल और एससी-एसटी श्रेणी वाले बच्चों को 600 रुपये मिलेंगे।
पैसा उन्हीं बच्चों को दिया जाएगा, जिनकी उपस्थिति 75 प्रतिशत रही है। बच्चों के खाते में पैसा जाएगा। 10 साल तक के जिन बच्चों का खाता नहीं खुला है उनके अभिभावकों के खाते में राशि जाएगी। पोशाक राशि को एक सप्ताह के अंदर खाते में भेजने का निर्देश है।
जिला कार्यक्रम पदाधिकारी प्राथमिक शिक्षा सह समग्र शिक्षा अभियान राजेन्द्र प्रसाद चौधरी ने बताया कि वर्ग 1 से 8वीं तक के लिए अलग-अलग कैटेगरी है। इसके अंतर्गत वर्ग 1 एवं 2 में पढऩे वाले एससी-एसटी एवं बीपीएल की श्रेणी में आने वाले बच्चों को तो 600 रुपये मिलेंगे ही, इसके अंतर्गत सभी श्रेणी की लड़कियों को भी 600 रुपये दिए जाएंगे।
इसके विपरीत एपीएल की श्रेणी वाले लड़कों को केवल 400 रुपये पोशाक राशि दी जाएगी। जिला कार्यक्रम पदाधिकारी ने बताया कि इसी तरह वर्ग 3 से 5 और वर्ग 6 से 8 के लिए भी अलग-अलग राशि निर्धारित की गई है।
वर्ग 3 से 5 के बच्चों की तीन कैटेगरी
इसी तरह वर्ग 3 से वर्ग 5 में पढऩे वाले बच्चों की तीन कैटेगरी हो गई है। इसमें एससी-एसटी और बीपीएल की श्रेणी के लड़कों को जहां 600 रुपये दिए जाएंगे। वहीं, एपीएल की श्रेणी के लड़कों को केवल 500 रुपये दिए जाएंगे। लड़कियां चाहें किसी भी श्रेणी की हों, उन्हें 700 रुपये का भुगतान किया जाएगा।
छठी क्लास से आठवीं क्लास की लड़कियों को एक हजार
छह से आठवीं में पढऩे वाली लड़कियों को पोशाक मद में 1000 रुपये प्रदान किए जाएंगे। वहीं, एससी-एसटी एवं बीपीएल की श्रेणी के लड़कों को 700 रुपये तथा एपीएल की श्रेणी में आने वाले लड़कों को भी 700 रुपये दिए जाएंगे। वर्ग 6 से 8 के बच्चों में लड़कों में राशि का अंतर नहीं किया गया है।