एमआरपी और एमएसपी के चक्कर में किसानों को उलझा रही सरकार
बक्सर केंद्र सरकार किसानों को एमआरपी और एमएसपी के चक्कर में उलझा रही है। इस बात को
बक्सर : केंद्र सरकार किसानों को एमआरपी और एमएसपी के चक्कर में उलझा रही है। इस बात को पिछले 44 वर्षों से देश के किसानों के सामने रखने वाले राष्ट्रीय किसान नेता रणजीत सिंह राणा ने कहा कि कृषि को उद्योग का दर्जा की मांग को लेकर थक चुका हूं लेकिन, आज तक किसी के कानों में जूं नहीं रेंगा। किसान नेता ने सवाल खड़ा किया क्या कोई उद्योगपति बाजार में अपना सामान बेचने जाता है? अगर नहीं जाता है? तो फिर किसानों को क्यों बाजार में भेज रहे हैं? उन्होंने कहा कि सारी दुनिया एक सिस्टम में काम कर रही हैं।
जब यह सिस्टम उद्योग में ही बना हैं तब क्यों नहीं कृषि को आज तक उद्योग का दर्जा संसद में पारित कर किसानों को उनके उत्पाद पर एमआरपी लिखने का मौका मिला? फिलहाल भारत की आत्मा कहे जाने वाले किसान सही दिशा के अभाव में उनकी दशा पहले से भी अधिक खराब हो गई। उस दिन कलेजे के हर कोने से बहुत गहरी टीस निकलती है? जब ये समाचार आता है? कि आर्थिक तंगी के अभाव में किसानों ने आत्महत्या कर लिया। समय के साथ राज्य और केन्द्र की सत्ता में कई सरकारें आई और चली गई सभी ने ताल ठोककर स्वयं को किसानों का हितैषी बताया लेकिन हकीकत यह हैं कि किसान हित में वे काम नहीं किए जिससे उनकी असमय मौत से रिश्ता टूट सके, और न ही राष्ट्रीय स्तर पर किसान हित के लिए कोई मंथन हो पाया। अगर सही में सरकार किसानों की हितैषी है? तथा यह चाहती हैं कि किसान और किसानी दोनों सुरक्षित बचे तो जरूरी होगा कि कृषि को उद्योग का दर्जा देने के प्रस्ताव पर राष्ट्रीय स्तर पर किसान पंचायत बैठे तथा बगैर राजनीति के इस प्रस्ताव पर सरकारी मुहर लगे।