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शर्मनाक स्थिति, पंचायत प्रतिनिधि ही करते हैं खुले में शौच

लोहिया स्वच्छता अभियान की धरातल की सच्चाई क्या है। इसका प्रमाण प्रखंड का कुशालपुर पंचायत है। पंचायत के मुखिया को छोड़ दें तो कई प्रतिनिधि के घर खुद का

By JagranEdited By: Published: Tue, 18 Sep 2018 06:01 PM (IST)Updated: Tue, 18 Sep 2018 06:01 PM (IST)
शर्मनाक स्थिति, पंचायत प्रतिनिधि ही करते हैं खुले में शौच
शर्मनाक स्थिति, पंचायत प्रतिनिधि ही करते हैं खुले में शौच

बक्सर : लोहिया स्वच्छता अभियान की धरातल की सच्चाई क्या है। इसका प्रमाण प्रखंड का कुशालपुर पंचायत है। पंचायत के मुखिया को छोड़ दें तो कई प्रतिनिधि के घर खुद का शौचालय नहीं है। बीडीसी और सरपंच का घर भी शौचालय विहीन है। जबकि, यहीं लोग पंचायत के स्वच्छता समिति के मूल स्तंभ बने हैं। पंचायत में 70 प्रतिशत से अधिक प्रतिनिधि का घर शौचालय से वंचित है। इस हालात में पंचायत में स्वच्छता लक्ष्यों को हासिल करना कितना दुरूह कार्य है। इसका सहज अनुमान लगाया जा सकता है।

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कार्यालय छोड़ पदाधिकारी घर-घर दस्तक अभियान चला रहे हैं। लेकिन, नतीजा सिफर है। प्रखंड के कुशलपुर पंचायत में सबसे कम शौचालय निर्माण कार्य हुआ है। कड़े निर्देश के बाद भी जब शौचालय निर्माण में खुद पंचायत प्रतिनिधि अपना शौचालय निर्माण नहीं करा पा रहे हैं तो वे दूसरों को कैसे शौचालय निर्माण के लिये प्रेरित करेंगे। सिर्फ मुखिया के घर है शौचालय कुशलपुर पंचायत में मुखिया सत्यनारायण राम को छोड़ दें तो अन्य कई पंचायत प्रतिनिधि के घर शौचालय नहीं है। पंचायत प्रतिनिधि ओर उनके परिजन स्वयं खुले में शौच को मजबूर हैं। इन्हें शौचालय निर्माण जल्द कराने को स्वयं डीएम प्रेरित कर चुके हैं। लेकिन, डीएम की बात को भी प्रतिनिधि अनसुना कर रहे हैं। इसका बुरा असर पंचायत के उन गरीब तबके के लोगों पर पड़ रहा है। जिनके घर अब तक शौचालय नहीं है। लाख निर्देश के बाद भी गरीब तबका इस पर रुचि नहीं ले रहा है। जबकि, जिले को ओडीएफ घोषित करने की नई तिथि 2 अक्टूबर निर्धारित है। निर्धारित तिथि से पहले सभी पंचायतों को ओडीएफ घोषित करने को जद्दोजहर चल रहा है। लेकिन, यहां मंजिल कोसों दूर है। अन्य पंचायत के प्रतिनिधियों का भी है यहीं हाल शौचालय निर्माण कार्य में पंचायत प्रतिनिधियों की उदासीनता सिर्फ कुशलपुर पंचायत तक ही सीमित नहीं है। प्रखंड के ऐसे कई पंचायत हैं। जहां पंचायत प्रतिनिधियों ने शौचालय का निर्माण नहीं कराया है। इसमें नंदन, लाखनडीहरा, सोवां, अरियांव, नया भोजपुर, पुराना भोजपुर, अटांव, कंझरुआ आदि कई पंचायत हैं। जहां के प्रतिनिधि शौचालय निर्माण में अभी तक रूचि नहीं ले रहे हैं। जबकि, वार्ड निगरानी समिति के अध्यक्ष खुद वार्ड सदस्य हैं। बावजूद, वार्ड सदस्य अपने घर में शौचालय बनाने को तत्पर नहीं हो रहे हैं। बैठक कर बनी रणनीति आवास सहायक शैलेश राय का कहना है कि कुशलपुर पंचायत में शौचालय निर्माण की स्थिति सबसे अधिक खराब है। उन्होंने कहा कि आम गरीब लोगों की बात कौन करें, यहां पंचायत प्रतिनिधि ही शौचालय नहीं बना रहे हैं। इसी पंचायत में स्थानीय जदयू विधायक ददन यादव पहलवान का गांव सम्हार है। वहां भी 70 से अधिक प्रतिशत प्रतिनिधियों के घर शौचालय नहीं है। फिलहाल पंचायत में बैठकों का दौर जारी है। शनिवार की शाम बैठक कर एक बार फिर से शौचालय निर्माण की रणनीति तैयार की गई। कहते हैं बीडीओ प्रतिनिधियों के घर शौचालय नहीं होने की शिकायत संज्ञान में आया है। इसके लिए सभी नोडल पदाधिकारियों को निर्देश दे दिया गया है कि अपने पंचायत के उन प्रतिनिधियों को भी चिन्हित करें, जिनके घर में अभी तक शौचालय नहीं बन पाया है। पंचायत प्रतिनिधियों के कंधे पर शौचालय निर्माण का दायित्व दिया गया है। जरूरी है कि वे भी अपने घर में निर्धारित समय से पहले शौचालय का निर्माण करा लें।

- प्रमोद कुमार, बीडीओ, डुमरांव।


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