अभिव्यक्ति की आजादी में अनुशासन जरूरी- दीप नारायण
अभिव्यक्ति की आजादी संविधान में प्रदत्त आम नागरिकों को सबसे बड़ा अधिकार है लेकिन इस आजादी का
जागरण संवाददाता, बक्सर : अभिव्यक्ति की आजादी संविधान में प्रदत्त आम नागरिकों को सबसे बड़ा अधिकार है, लेकिन इस आजादी का अनादर करना गलत है, अभिव्यक्ति की आजादी में अनुशासन जरूरी है। उक्त बातें सेवा निवृत्त अपर समाहर्ता और शिक्षाविद् दीप नारायण ने शनिवार को ऐप्टेक परिसर में स्वतंत्र भारत में अभिव्यक्ति की आजादी विषय पर आयोजित परिचर्चा में कही। इससे पूर्व कार्यक्रम का उद्घाटन सेवानिवृत्त अपर समाहर्ता, सेवानिवृत्त अधीक्षण अभियंता आर एस पांडे, प्रो.अरुण मोहन भैरवी, प्रो.राजेश कुमार एवं स्मृति कॉलेज के निदेशक डॉ.रमेश कुमार ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलित कर किया।
मुख्य वक्ता दीप नारायण ने कहा कि लोग स्वतंत्र रूप से दूसरों के बारे में अपने विचारों को व्यक्त कर सकते हैं, लेकिन सीमा का पालन भी जरूरी है। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे डॉ.रमेश कुमार ने कहा कि अभिव्यक्ति की आजादी लोकतंत्र का आधार है, परंतु इसका दुरुपयोग किसी समाज या राष्ट्र के लिए खतरा उत्पन्न कर सकता है। इंजीनियर आर एस पांडे ने कहा कि अभिव्यक्ति की आजादी में आत्मानुशासन अत्यावश्यक है। प्रोफेसर राजेश कुमार ने कहा कि किसी के बहकावे में आकर युवा पीढ़ी को अभिव्यक्ति की आजादी का दुरुपयोग नहीं करना चाहिए, जो वर्तमान में नागरिकता संशोधन कानून के लागू होने पर विरोध प्रकट करने वालों में देखा जा रहा है। प्रोफेसर भैरवी ने कहा कि शांति पूर्वक विरोध किया जा सकता है, परंतु कानून को अपने हाथ में लेने का अधिकार किसी को नहीं हो सकता है। चर्चा में महिमा, अंकिता, आलोक, विनायक एवं नीरज कुमार आदि छात्र-छात्राओं ने भी बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया। इस मौके पर दयाशंकर ओझा, अजीत चौबे, रवि प्रकाश, मुकेश कुमार, राजेश राय आदि भी मौजूद रहे। इससे पूर्व लक्ष्मी, प्रतिभा, सृष्टि एवं अनुज्ञा ने समूह गान से अतिथियों का स्वागत किया।