त्रिदंडी स्वामी की पुण्यतिथि पर श्रद्धालुओं ने की आराधना
मीडिया प्रभारी अखिलेश बाबा व मुन्ना पांडेय ने बताया कि हजारों की संख्या में कई प्रान्त से श्रद्धालु श्री जीयर स्वामी जी महाराज के दर्शन हेतु जुटे हुए थे। जहां सुबह होते ही लोगों के आने का सिलसिला शुरू हो गया था। इस दौरान बाहर से पहुंचे श्रद्धालुओं ने सबसे पहले पावनी गंगा में स्नान किया।
बक्सर : श्री त्रिदंडी देव समाधि स्थल चरित्रवन में शनिवार को बड़े सरकार श्री त्रिदंडी स्वामी जी महाराज की पुण्यतिथि पर श्रद्धालुओं का कारवां उमड़ा हुआ था। जहां, संत श्री लक्ष्मीप्रपन्न जियर स्वामी जी महाराज की उपस्थिति में भारत के कोने-कोने से आए साधु-संतों के मंत्रोच्चार के बीच उनकी पुण्यतिथि धूमधाम से मनाई गई।
इस दौरान चरित्रवन स्थित समाधि स्थल पर बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश आदि जगहों से काफी संख्या में महिला तथा पुरुष दर्शन करने हेतु जुटे हुए थे। मीडिया प्रभारी अखिलेश बाबा व मुन्ना पांडेय ने बताया कि हजारों की संख्या में कई प्रान्त से श्रद्धालु श्री जीयर स्वामी जी महाराज के दर्शन हेतु जुटे हुए थे। जहां, सुबह होते ही लोगों के आने का सिलसिला शुरू हो गया था। इस दौरान बाहर से पहुंचे श्रद्धालुओं ने सबसे पहले पावनी गंगा में स्नान किया। ततपश्चात, बड़े सरकार के पुण्यतिथि के प्रसाद का पारण किया और पूज्य स्वामी जी का आशीर्वाद लिया। समारोह में उमड़े श्रद्धालुओं से मंदिर परिसर खचाखच भरा हुआ था। एक बार तो ऊपर तल्ले से लेकर नीचे तक कहीं भी पैर रखने तक की जगह नहीं बची थी। यह ²श्य देखते ही बन रहा था। हालांकि, मौके पर प्रसाद लेने के बाद श्री जीयर स्वामी जी का दर्शन करना श्रद्धालु नहीं भूल रहे थे। बल्कि, इस ²श्य को हर कोई अपने कैमरे में कैद करने की कोशिश कर रहा था। कार्यक्रम में श्री अयोध्या नाथ स्वामी जी की देखरेख में सुबह से लेकर देर रात तक लोगों को प्रसाद वितरण का कार्य चलता रहा। काशी, मथुरा आदि जगहों से आए आचार्यों के मंत्रोच्चार से पूरा क्षेत्र गुंजायमान था। जिस घर में सदाचारी व्यक्ति का अनादर हो वह घर श्मशान के समान : जीयर स्वामी
गंगा स्नान का मतलब अनीति, अन्याय, बेईमानी, अधर्म,पाप का त्याग से है। वहीं, पूज्य लक्ष्मीप्रपन्नचार्य जीयर स्वामी ने कहा कि शास्त्रों में बताया गया है कि जिस घर में व समाज में तथा राष्ट्र व उसकी प्रजा में ईश्वर ब्रम्ह को कभी याद न किया जाता, कभी चितन न किया जाता हो व नितध्यासन न किया जाता हो तथा गुणगान न किया जाता हो वह घर श्मशान के समान है। उन्होंने यह भी कहा कि जहां पर सदाचारी, संत-महात्मा एवं ज्ञानी स्त्रियों का आदर नही हो और बालकों को शिक्षा न दिया जाता हो वह घर भी श्मशान के समान है। जुआ खेलना, शराब का व्यसन करना तथा अनेक प्रकार खान-पान करना उपद्रव कारी है और मांस आदि का सेवन जहां होता हो वह भी घर श्मशान के समान है।
पशुओं के समान भोजन तो मानव पशु में कोई अंतर नहीं
स्वामी जी ने कहा कि भोजन, शयन व संतान उत्पति हम अनेक योनियों में करते हैं। परन्तु, केवल इसके लिए इस संसार में हम जन्म नही लिए हैं। यदि इन सबके लिए इस संसार में हम आए हुए होते तो परमात्मा हमलोगों को मनुष्य नही बनाते। बल्कि, इसकी जगह पर हमें कोई जन्तु बनाते। मानव की पहचान संस्कृति है, संस्कार है, सभ्यता है, सरलता है, सहजता है, कोमलता है। उन्होंने कहा कि ये सब यदि मनुष्य में न हो और वह सिर्फ संसार में पशुओं के समान भोजन करे तथा संतानोत्पत्ति करे तो फिर मनुष्य और पशु में कोई अंतर नहीं रह जाता।