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पंचकोस यात्रा के तीसरे दिन भभुअर पहुंचे श्रद्धालु, लगा चूड़ा-दही का भोग

पंचकोसी परिक्रमा का कारवां मंगलवार को तीसरे विश्राम स्थल सदर प्रखंड के भभुअर गांव में पहुंचा। जहां भार्गव सरोवर में स्नान तथा भार्गवेश्वर नाथ के मंदिर में दर्शन-पूजन के बाद महर्षि श्रद्धालुओं ने भार्गव को नमन किया गया। इसके बाद दान-पुण्य कर श्रद्धालुओं ने चूड़ा-दही का प्रसाद खाकर भजन-कीर्तन करते हुए रात गुजारी।

By JagranEdited By: Published: Tue, 19 Nov 2019 04:39 PM (IST)Updated: Wed, 20 Nov 2019 06:15 AM (IST)
पंचकोस यात्रा के तीसरे दिन भभुअर पहुंचे श्रद्धालु, लगा चूड़ा-दही का भोग
पंचकोस यात्रा के तीसरे दिन भभुअर पहुंचे श्रद्धालु, लगा चूड़ा-दही का भोग

बक्सर : पंचकोसी परिक्रमा का कारवां मंगलवार को तीसरे विश्राम स्थल सदर प्रखंड के भभुअर गांव में पहुंचा। जहां भार्गव सरोवर में स्नान तथा भार्गवेश्वर नाथ के मंदिर में दर्शन-पूजन के बाद महर्षि श्रद्धालुओं ने भार्गव को नमन किया गया। इसके बाद दान-पुण्य कर श्रद्धालुओं ने चूड़ा-दही का प्रसाद खाकर भजन-कीर्तन करते हुए रात गुजारी।

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एक दिन पूर्व सोमवार को नारद आश्रम नदांव में रात्रि विश्राम के बाद पंचकोसी का काफिला तड़के वहां से भार्गव आश्रम के लिए रवाना हुआ। जहां पहुंचने के बाद श्रद्धालु भार्गव सरोवर में स्नान एवं मंदिर में पूजा-अर्चना किए। इसके उपरांत सिद्धाश्रम व्याघ्रसर (बक्सर) पंचकोसी परिक्रमा समिति के अध्यक्ष सह बसांव पीठाधीश्वर अच्युत प्रपन्नाचार्य जी महाराज, सीताराम विवाह महोत्सव आश्रम के राजाराम शरण दास जी महाराज, श्रीनिवास मंदिर के श्रीदामोदराचार्य, उद्धवाचार्य जी महाराज, डॉ.रामनाथ ओझा आदि की संयुक्त अगुवाई में हजारों श्रद्धालुओं ने भार्गव सरोवर की परिक्रमा की। इसके बाद कथा-प्रवचन का आयोजन कर भार्गवाश्रम के महत्व तथा पंचकोसी यात्रा के उद्देश्य को बताया गया। पौराणिक मान्यता के अनुसार त्रेतायुग में भगवान श्रीराम अपने अनुज लक्ष्मण के साथ भभुअर पहुंचे थे। जिन्हें इसी भभुअर नामक स्थान में निवास करते महर्षि भृगु ने चूड़ा-दही खिलाकर उनकी खातिरदारी की थी। इस अवसर पर वहां लगे मेला में लोगों ने जमकर खरीदारी की तथा रात को भजन-कीर्तन का आनंद लिया। यात्रा में मंदिर का दर्शन करने सदर विधायक संजय कुमार तिवारी उर्फ मुन्ना तिवारी भी पहुंचे। इस दौरान छविनाथ त्रिपाठी, अवधेश तिवारी उ़र्फ ज्योतिषी जी, समाजसेवी रोहतास गोयल आदि अनेक गणमान्य लोग मौजूद रहे। समिति के सचिव डॉ.रामनाथ ओझा ने बताया कि पंचकोसी यात्रा के प्रारंभ के बाद लगातार महिला श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ती चली जा रही है।

भार्गव आश्रम की परिक्रमा से मिलती है मन को शांति

बक्सर : पंचकोसी परिक्रमा के तीसरे पड़ाव भभुअर स्थित भार्गव आश्रम की परिक्रमा से चित्त को शांति मिलती है। जिसका महात्म्य बताते हुए श्रीनिवास मंदिर के महंत दामोदराचार्य जी महाराज ने कहा कि देवताओं एवं ऋषियों में त्रिदेवों की श्रेष्ठता को लेकर भ्रम हो गया। जिसके बाद उनके द्वारा सम्याप्रान्त स्थित सरस्वती नदी के तट पर इनकी परीक्षा के लिए महर्षि भृगु को जिम्मेदारी सौंपी गई। जिन्होंने ब्रह्मा एवं शंकर की परीक्षा ली। जिसमें ये दोनों देवता असफल हुए। इसके बाद उन्होंने श्रेष्ठता सिद्ध करने हेतु भगवान विष्णु के वक्षस्थल पर अपने पैरों से प्रहार किया। जिससे घायल भगवान विष्णु ने नेत्रों में आंसू भरकर उनके पैरों को सहलाते हुए कहा कि 'हे ब्राह्माण असुरों के अस्त्र-शस्त्रों के घात से मेरा शरीर अत्यंत कठोर हो गया है, लिहाजा प्रहार से आपके पैरों को पीड़ा हुई होगी। जिसके लिए क्षमा प्रार्थी हूं। जिससे भृगु मुनि का चित्त अशांत हो गया था। आचार्य ने बताया कि तब श्रीहरि के कहने पर सिद्धाश्रम क्षेत्र के भभुअर में उन्होंने देवाधिदेव महादेव की तपस्या की थी। जिससे उनका चित्त स्थिर हुआ था। लिहाजा, पंचकोसी के दौरान यहां विधि-विधान के साथ परिक्रमा करने से एक तरफ श्रद्धालुओं के चित्त को जहां शांति मिलती है। वहीं, दूसरी ओर श्रीराम के आदर्शों के पालन करने का बल प्राप्त होता है।

भार्गव सरोवर के शिल्पकार हैं लक्ष्मणजी

बक्सर : भगवान श्रीराम के छोटे भाई श्रीलक्ष्मण को भभुअर स्थित भार्गव सरोवर का शिल्पकार माना जाता है। इस संबंध में जारी एक मान्यता के अनुसार त्रेतायुग में महर्षि विश्वामित्र के यज्ञ को संपन्न कराने के बाद ऋषियों से आशीर्वाद लेने को जब श्रीराम के साथ पंचकोसी परिक्रमा करते लक्ष्मण यहां पहुंचे तो उन्हें जल की कमी महसूस हुई। लिहाजा, उन्होंने अपने तीर से पृथ्वी पर वार किया। जिससे पाताल से पानी का स्रोत फूटकर जलधारा निकलने लगी। इसका वर्णन करते हुए समिति के सचिव ने बताया कि पंचकोसी के दौरान उक्त सरोवर में स्नान करने से स्नानार्थी पाप से रहित होकर बैकुंठ लोक में निवास करते हैं। हालांकि, अभी भार्गव सरोबर की स्थिति अत्यंत दयनीय है।

नुआंव में आज लगेगा सत्तू-मूली का भोग

बक्सर : पंचकोसी का चौथा पड़ाव बुधवार को नुआंव में होगा। मान्यता के अनुसार यहीं पर हनुमानजी की माता अंजनी का निवास था। आज भी यहां अंजनी सरोवर मौजूद है। जिसके चलते हजारों की संख्या में साधु-संत एवं श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं तथा अंजनी सरोवर में स्नान व पूजा कर सत्तू-मूली का प्रसाद ग्रहण करते हैं। पौराणिक मान्यता के अनुसार उद्दालक मुनि इसी सरोवर के तट पर निवास करते थे। जिनसे आशीर्वाद लेने पहुंचे भगवान श्रीराम को ऋषि ने सत्तू-मूली खिलाकर स्वागत किया था। इसकी जानकारी देते हुए पंडित छविनाथ त्रिपाठी ने बताया कि इसी परंपरा के निर्वाह को ले यहां सत्तू एवं मूली का प्रसाद खाने का रिवाज है।


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