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फसल बचाना मुश्किल, डीजल की महंगाई झेल रहे किसान

अनुमंडल क्षेत्र के विभिन्न भागों में किसानों को फसल बचाने के लिए काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। तमाम ¨सचाई संसाधन फेल होने के चलते डीजल की महंगाई तथा निजी संसाधनों के भरोसे पटवन कराना लाचारी हो गई है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 21 Sep 2018 05:14 PM (IST)Updated: Fri, 21 Sep 2018 05:14 PM (IST)
फसल बचाना मुश्किल, डीजल की महंगाई झेल रहे किसान
फसल बचाना मुश्किल, डीजल की महंगाई झेल रहे किसान

बक्सर । अनुमंडल क्षेत्र के विभिन्न भागों में किसानों को फसल बचाने के लिए काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। तमाम ¨सचाई संसाधन फेल होने के चलते डीजल की महंगाई तथा निजी संसाधनों के भरोसे पटवन कराना लाचारी हो गई है। इलाके में पिछले दो दशकों से बंद पड़े राजकीय नलकूपों को चालू कराने की अधिकारिक घोषणा छलावा साबित हुई। कभी गर्मी के दिनों में इन्हीं संसाधनों के बूते गरमा धान काटनेवाले किसान अब खरीफ फसल के उत्पादन में काफी परेशानियों का सामना करते हैं। फिलहाल कबाड़ा के रूप में परिवर्तित राजकीय नलकूपों की स्थिति देखते बनती है। ज्यादातर नलकूपों के सामान या तो चोरी हो गए या फिर जंग लगकर वहीं जमींदोज हो गए हैं।

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एक आंकड़े के अनुसार जिले में पुराने कुल 109 राजकीय नलकूपों में मुश्किल से दो का संचालन हो रहा है। पिछले साल बंद पड़े सभी राजकीय नलकूपों को चालू कराने की प्रक्रिया शुरू हुई। लेकिन, आज तक विभाग को सफलता नहीं मिली। नतीजतन, क्षेत्रीय किसानों को डीजल की महंगाई की मार झेलकर निजी संसाधनों के भरोसे कृषि कार्य करना भी बेहद मुश्किल प्रतीत हो रहा है। सबसे बड़ी समस्या तो यह है कि इस बार बरसात नहीं होने की स्थिति में एकाध एकड़ धान का फसल बचाना भी संभव नहीं है। इलाके के चर्चित किसान मनबोध तिवारी ने बताया कि किसानों के प्रति सरकार की दोहरी नीति और उदासीनता आज किसानों को भुखमरी के कगार पर खड़ा कर दिया है। जिला पार्षद अरविन्द प्रताप शाही, भाजपा नेता नंदलाल पंडित, बड़कन ¨सह, राजकपिल महतो, कपिलमुनि पांडेय एवं बबन यादव सहित कई किसानों ने इस गंभीर समस्या के प्रति सरकार तथा विभागीय अधिकारियों का ध्यान आकृष्ट कराया है। ताकि, किसानों को परेशानियों का सामना न करना पड़े।


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