अमित शाह और सपा नेता आजम खान को धमकी देनेवाले को मिली जमानत
डीएम से रंगदारी मांगने के मामले में बक्सर कोर्ट ने युवक को रिहा कर दिया लेकिन बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह,सपा नेता आजम खान को फोन कर धमकी देने के मामले में वह सजा पाएगा।
बक्सर [जेएनएन]। जिले के व्यवहार न्यायालय में मंगलवार को डीएम सहित बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह और सपा नेता आजम खान को फोन कर रंगदारी मांगने के मामले में जज ने आरोपी को बरी कर दिया है। जिसमें डीएम से रंगदारी मांगने का मामला पिछले साल का है। इस मामले में सुनवाई पूरी होने तक अभियोजन पक्ष कोई ठोस साक्ष्य प्रस्तुत नहीं कर सका।
अपर मुख्य न्यायिक पदाधिकारी (द्वितीय) राजेश कुमार त्रिपाठी की अदालत ने साक्ष्य के अभाव में आरोपी सन्नी यादव उर्फ समीर राय को मुकदमे से मुक्त कर दिया। हालांकि, आरोपी अभी जेल से रिहा नहीं होगा, क्योंकि उस पर भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह से भी रंगदारी मांगने का आरोप है, जिसकी सुनवाई दिल्ली के साकेतपुरी कोर्ट में चल रही है।
आरोपी मुंगेर जिले के मुंगेर के मुफस्सिल थाना अंतर्गत मयं गांव का रहने वाला है। बक्सर डीएम को धमकी देने से पूर्व उस पर अमित शाह और सपा नेता आजम खान को धमकी देने का आरोप है। इस मामले में दिल्ली पुलिस लगभग छह माह पूर्व केन्द्रीय कारा में सन्नी से पूछताछ को आई थी।
उसके विरुद्ध दिल्ली मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट कोर्ट साकेत नई दिल्ली में मुकदमा चल रहा है। उस समय कोर्ट में उपस्थापन को स्थानीय कोर्ट से दिल्ली पुलिस ने गुहार लगाई थी, लेकिन बक्सर व्यवहार न्यायालय में जिले के दो बड़े पदाधिकारियों को धमकी व रंगदारी मामले के मुकदमे का ट्रायल चल रहा था।
इस वजह से कोर्ट उसे सौंपने से मना कर दिया। लेकिन, स्थानीय कोर्ट में उसके मामले में फैसले के बाद दिल्ली पुलिस को इसकी सूचना भेज दी जाएगी। इसके बाद वहां की पुलिस जरुरत के मुताबिक उसे अपने साथ ले जा सकती है।
क्या है मामला
न्यायिक सूत्रों के अनुसार आरोपी चरित्रवन की लड़की से इश्क करता था और नाकामी हासिल होने पर उसने लड़की के पिता व भाई की फर्जी वोटर कार्ड पर सिम निकाल ली। आरोप के मुताबिक उसने 12 सितंबर 2015 की शाम बक्सर डीएम के सरकारी मोबाइल नंबर पर फोन कर रंगदारी मांगी।
फोन उनके आदेशपाल अफजल अंसारी ने उठाया था। उसने फोन पर हुए घटना की सूचना डीएम को दी। इसके बाद उनके आदेश पर आदेशपाल ने नगर थाने में मोबाइल नम्बर पर एफआइआर दर्ज कराई। पुलिस ने मामले को गंभीरता से लेते हुए दारोगा धर्मेंद्र कुमार ने अनुसंधान में लगाया।
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पुलिस अनुसंधान के दौरान 15 सितंबर को आरोपी ने बीडीओ मनोज कुमार से फोन पर रंगदारी की मांग की। इसके बाद पुलिस ने सन्नी यादव को मुंगेर से दबोच लिया।
अभियोजन नहीं जुटा सका साक्ष्य
पुलिस ने मोबाइल नम्बर की जांच में पाया की दोनों आला अधिकारियों को फोन कर रंगदारी की मांग करने वाला एक ही व्यक्ति है। उसी के आधार पर पुलिस ने आरोपी को उसके घर से दबोच लिया। लेकिन, अभियोजन पक्ष ने कोर्ट में उसके विरुद्ध कोई ठोस सुबूत पेश नहीं कर पाया। इस वजह से कोर्ट ने आरोपी को बरी कर दिया।
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न्यायिक सूत्रों के मुताबिक इस कांड में सबसे बड़ी खामी अनुसंधानकर्ता का कोर्ट में उपस्थित नहीं होना रहा। कांड के अनुसंधानकर्ता सुनवाई के दौरान ही भ्रष्टाचार के एक अन्य मामले में सेवा से बर्खास्त हो गए। इसके बाद वह गवाही देने के लिए कोर्ट में उपस्थित नहीं हुए।