स्कूली बच्चों ने ली शपथ, नहीं करेंगे स्मार्टफोन का प्रयोग
बच्चों के बीच स्मार्टफोन के बढ़ते प्रयोग तथा उनसे होने वाले दुष्परिणामों से उन्हें अवगत कराने के लिए स्थानीय फाउंडेशन स्कूल में एक सेमिनार का आयोजन किया गया, जिसमें बच्चों को स्मार्टफोन के दुष्परिणामों से अवगत कराते हुए उनसे बचने की अपील की गई।
बक्सर । बच्चों के बीच स्मार्टफोन के बढ़ते प्रयोग तथा उनसे होने वाले दुष्परिणामों से उन्हें अवगत कराने के लिए स्थानीय फाउंडेशन स्कूल में एक सेमिनार का आयोजन किया गया, जिसमें बच्चों को स्मार्टफोन के दुष्परिणामों से अवगत कराते हुए उनसे बचने की अपील की गई। इस दौरान बच्चों को संबोधित करते हुए सदर अनुमंडलाधिकारी कृष्ण कांत उपाध्याय ने बताया कि आज के परिवेश में जहां स्मार्टफोन का प्रचलन बढ़ गया है, वहीं स्मार्टफोन के गलत इस्तेमाल से समाज में विभिन्न तरह के आपराधिक घटनाओं को बल मिल रहा है। ऐसे में बच्चों को चाहिए कि वे स्मार्टफोंस का केवल आवश्यक उपयोग ही करें। क्योंकि स्मार्टफोन का गलत प्रयोग उन्हें गलत रास्तों पर ले जाएगा। जहां से लौटना उनके लिए मुश्किल ही नहीं बल्कि नामुमकिन होगा। उन्होंने कहा कि पे•ार, फीचर फोन के बाद अब स्मार्टफोन ने दुनिया में एक नई क्रांति ला दी है। अब हर वह चीज जो आप चाहे आप को स्मार्ट फोन पर ²श्य हो सकती है। 21 वर्ष की आयु वर्ग से ज्यादा बड़े लोग जो मोबाइल का इस्तेमाल करते हैं उन्हें स्मार्टफोन के माध्यम से इंटरनेट पर मौजूद अच्छी एवं बुरी चीजों में फर्क करना आता है। लेकिन बच्चे इन चीजों में फर्क नहीं कर पाते।
जिसका नतीजा यह होता है कि किशोर उम्र में ही वह अपराध के दलदल में फंसते चले जाते हैं। साथ ही साथ स्मार्टफोन का अत्याधिक इस्तेमाल बच्चों को शारीरिक रूप से कमजोर बना देता है। उन्होंने कहा कि छोटी उम्र में बच्चों को स्मार्ट फोन के गेम्स से काफी दूरी रखनी चाहिए तथा शारीरिक रूप से खेले जाने वाले खेलों में अपनी रुचि बढ़ानी चाहिए, क्योंकि बाल्यावस्था में ही उनका शारीरिक विकास तेजी से होता है। दूसरी तरफ कार्यक्रम को संबोधित करते हुए आरक्षी उपाधीक्षक सतीश कुमार ने कहा कि आज यह देखकर बहुत दुख होता है कि साइबर क्राइम से जुड़े अधिकतर मामलों में किशोरों का नाम सामने आता है. सभी स्कूली बच्चे होते हैं. दरअसल, सोशल साइट्स पर वायरल हर चीज सही नहीं होती. सोशल साइट पर दिखने वाली सामग्री का कैसे इस्तेमाल करना है इसकी जानकारी भी बच्चों को नहीं होती. नतीजा यह होता है कि वे अनजाने में ही कुछ ऐसी गलती कर देते हैं जिससे उनका भविष्य भी खराब हो जाता है. उन्होंने बताया कि कभी-कभी गलत वायरल मैसेज सांप्रदायिक तनाव जैसे माहौल पैदा कर देता है. इसलिए बिना जाने समझे किसी मैसेज को फॉरवर्ड करना भी किसी अपराध से कम नहीं है. प्राचार्य विकास ओझा ने कहा कि आधुनिक प्रौद्योगिकी को जानना तथा उसे अपनाना आवश्यक है। लेकिन स्मार्टफोन का प्रयोग सकारात्मक कार्यों के लिए किया जाना चाहिए। एक विद्यार्थी को फेसबुक, व्हाट्सएप, इंस्टाग्राम तथा ट्विटर का इस्तेमाल करने की कोई आवश्यकता नहीं है। मौके पर प्रबंधक मनोज कुमार चौबे समेत विद्यालय परिवार के शिक्षक-शिक्षकाएं तथा कक्षा अष्टम तथा नवम के विद्यार्थी भी मौजूद रहे। कार्यक्रम के अंत में बच्चों ने शपथ ली कि वे स्मार्ट फोन का प्रयोग नहीं करेंगे तथा सकारात्मक कार्यों के लिए पड़ने पर माता-पिता की सहमति से इनका इस्तेमाल करेंगे।