अंधविश्वास के चक्कर में समाप्त हो रही ¨जदगी
सूचना क्रांति के दौर में हम भले ही अंतरिक्ष और चांद पर घर बसाने की सोच रहे हों।
बक्सर। सूचना क्रांति के दौर में हम भले ही अंतरिक्ष और चांद पर घर बसाने की सोच रहे हों, लेकिन अंधविश्वास अब भी हमारा पीछा नहीं छोड़ रहा है। खासकर, ग्रामीण क्षेत्रों में जादू-टोना, भूत प्रेत के नाम पर लोग न सिर्फ विभिन्न प्रकार की यातनाओं का शिकार हो रहे हैं। कृष्णाब्रम्ह थाना क्षेत्र के कठार गांव में हुई घटना अंधविश्वास में जीने वाले लोगों की आंखें खोलने वाली है।
श्री श्याम सुन्दर ब्रह्म स्थान पर भौतिक बाधाओं से निवृति पाने के लिए बिहार एवं यूपी के विभिन्न जिलों से आए लोगों में से मंदिर की दीवार गिरने से जहां तीन की मौत हो गई। वहीं, करीब दो दर्जन विभिन्न अस्पतालों में ¨जदगी और मौत के बीच जंग लड़ रहे हैं। पंचायत के मुखिया ललन पासवान ने बताया कि मंदिर की स्थापना 1987 में हुई थी। तब से तथाकथित भौतिक बाधाओं से ग्रसित लोगों खासकर महिलाओं की भारी भीड़ मंदिर प्रांगण में बने शेड के अंदर कई दिनों तक डेरा डाले रहती थी। सुबह से सिर हिलाने का दौर देर रात तक जारी रहता है। पीड़ितों में मान्यता थी कि मंदिर में प्रवास एवं देर रात तक सिर हिलाने से समस्त व्याधियां ब्रम्ह बाबा की कृपा से समाप्त हो जाएगी। मगर, उन्हें क्या पता था कि यहीं अंधविश्वास उनकी मौत का कारण बनेगा। छितरौली गांव निवासी श्याम बाबू दास ने कहा कि ब्रह्मबाबा की चर्चा सुनकर पहली बार अपनी गर्भवती पत्नी के साथ बच्चे की सलामती की दुआ मांगने आया था। मगर मैंने अपनी पत्नी राजमुनी को खो दिया। सवाल है कि सरकार के तमाम प्रयासों के बावजुद अंधविश्वास के अखाड़ों पर रोक लगाने में क्यों प्रशासनिक अधिकारी खुलकर सामने आने को तैयार नहीं है। प्रखंड प्रमुख प्रतिनिधि सुशील कुमार लाल ने जिले के अंदर अंधविश्वास से जुड़े केन्द्रों को चिन्हित करते हुए उन पर तत्काल कार्रवाई करने की मांग जिला पदाधिकारी से की है।