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पराली जलाने को बताया खतरनाक, कुलपत‍ि बोले- आने वाले दिनों में किसानों के धन उपार्जन का साधन बनेगी पराली

कुलपति ने कहा पराली अभिशाप नहीं बल्कि आने वाले दिनों में किसानों के धन उपार्जन का साधन बनेगी। हरियाणा एवं उत्तर प्रदेश के कई जिले में किसानों द्वारा पराली से बायोमास पैलेट्स बनाए जाने के लिए प्लांट की स्थापना की गई है।

By Arun Kumar VikrantEdited By: Mohammed AmmarPublished: Fri, 11 Nov 2022 06:42 PM (IST)Updated: Sat, 12 Nov 2022 01:44 AM (IST)
पराली जलाने को बताया खतरनाक, कुलपत‍ि बोले- आने वाले दिनों में किसानों के धन उपार्जन का साधन बनेगी पराली
पराली जलाने को बताया खतरनाक, कुलपत‍ि बोले- आने वाले दिनों में किसानों के धन उपार्जन का साधन बनेगी पराली

संवाद सहयोगी, डुमरांव (बक्सर) : पराली अभिशाप नहीं बल्कि आने वाले दिनों में किसानों के धन उपार्जन का साधन बनेगी। हरियाणा एवं उत्तर प्रदेश के कई जिले में किसानों द्वारा पराली से बायोमास पैलेट्स बनाए जाने के लिए प्लांट की स्थापना की गई है। वहां प्रति एकड़ एक टन बायोमास का उत्पादन होता है। बायोमास की खरीद एनटीपीसी द्वारा की जाती है। उक्त बातें बिहार कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डा.अरुण कुमार ने कही।

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वह नेशनल विद्युत प्रशिक्षण प्रतिष्ठान, दुर्गापुर सह बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर के संयुक्त तत्वावधान में कोयला आधारित ताप संयंत्रों में फसल अवशेष पराली (पुआल) से बायोमास पैलेट्स के उपयोग विषय पर शुक्रवार को डुमरांव स्थित कृषि कालेज के प्रांगण में आयोजित किसान जागरूकता शिविर सह क्षमतावर्द्धन कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे। इससे पहले शिविर का उद्घाटन कुलपति डा.अरूण कुमार, एनटीपीसी के कार्यपालक निदेशक सह बायोमास मिशन के निदेशक सुदीप नाग, एनटीपीआई के निदेशक ए के श्रीवास्तव एवं एनटीपीसी पटना मुख्यालय के जीएम जे साहू ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलित कर किया।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कुलपति ने कहा कि फसल अवशेष जलाने से हानिकारक गैंसों का उत्सर्जन होता है। इससे वातारवण प्रदूषित होता है। उन्होंने केंद्र सरकार के विद्युत मंत्रालय द्वारा कोयला आधारित ताप संयंत्रों में पराली से बनाए गए बायोमास का उपयोग करने की दिशा में स्थापित नेशनल मिशन पर प्रसन्नता व्यक्त की। सम्मेलन को अन्य वक्ताओं में बीएयू के अधिष्ठाता डा.राजेश कुमार, एनटीपीसी पटना के जीएम जे साहू एवं एनटीपीआई के कार्यपालक अभियंता सह बायोमास मिशन सदस्य एस.के.अरजुरिया आदि ने संबोधित किया। आगत अतिथियों सहित किसानों का स्वागत कृषि कालेज के प्राचार्य डा.रियाज अहमद एवं कृषि अभियंत्रण कालेज के प्राचार्य डा.जे.पी.सिंह ने किया। संचालन कालेज की वैज्ञानिक डा.प्रियंका कुमारी ने किया। धन्यवाद ज्ञापन विश्वविद्यालय के प्रसार शिक्षा निदेशक डा.आर.एन.सिंह ने किया।

इसके पूर्व कुलपति ने कालेज परिसर में नवनिर्मित बीज भवन एवं उद्यान विभाग द्वारा नवनिर्मित उद्यानिकी पाली हाउस एवं शेड नेट का उद्घाटन किया। मौके पर डा.एसआरपी सिंह, डा.प्रकाश सिंह, आईआरएसी पटना के डा.विनोद कुमार सिंह, वैज्ञानिक डा.आनंद कुमार जैन, डा.मणीभूषण ठाकुर, वैज्ञानिक डा.सुदय प्रसाद, एसी नरेन्द्र कुमार राम एवं सहायक प्राध्यापक डा.विनोद कुमार सिंह आदि मौजूद थे। ताप संयंत्रों में 10 फीसद बायोमास ईंधन के उपयोगी की बनी नीति : डा.नाग कार्यक्रम को संबोधित करते हुए एनटीपीसी के कार्यपालक निदेशक सह बायोमास मिशन के निदेशक डा.नाग ने भी पराली जलाने को काफी नुकसानदायक बताया। उन्होंने कहा कि एनटीपीसी ने कोयला आधारित ताप संयंत्रों में शुरूआती दौर में 10 फीसद पराली से बनाए गए बायोमास ईंधन का उपयोग करने की नीति बनाई है।

कहा कि एनटीपीसी देश के किसानों के आर्थिक विकास एवं कोयला की कमी को देखते हुए पराली से निर्मित बायोमास ईंधन का उपयोग ताप संयंत्रो में करने की दिशा में काम कर रही है। हालांकि, पराली से बायोमास बनाए जाने के लिए प्लांट की स्थापना करने की दिशा में राज्य सरकार को कदम बढ़ाना होगा। उन्होंने कहा कि बायोमास प्लांट की स्थापना होने के बाद किसान पराली जलाने से परहेज करेगें और उन्हें आर्थिक लाभ प्राप्त होगा।


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