आस्था का सैलाब कहीं बन न जाये मौत की बारात
आमतौर पर कोई भी हादसा मानवीय लापरवाही या खतरे की अनदेखी की वजह से होता है, लेकिन जानमाल का नुकसान होने के बाद मामले में आरोप-प्रत्यारोप और राजनीति होने लगती है। हादसे का ऐसा खतरा अभी रामरेखा घाट
जागरण संवाददाता, बक्सर : आमतौर पर कोई भी हादसा मानवीय लापरवाही या खतरे की अनदेखी की वजह से होता है, लेकिन जानमाल का नुकसान होने के बाद मामले में आरोप-प्रत्यारोप और राजनीति होने लगती है। हादसे का ऐसा खतरा अभी रामरेखा घाट चीख- चीख कर बता रहा है। घाट की सीढि़यों के नीचे से जमीन खिसक गई है और उनकी सरिया बाहर आ गई है। भगवान न करे जब हजारों की भीड़ इन सीढि़यों पर खड़ी हो और यह धंस जाए, फिर जानमाल के नुकसान की कल्पना से ही रूह कांप जाती है। एक तरफ जहां रामरेखा घाट की सीढि़यों की यह हालत है वहीं, नगर परिषद इस मामले में उदासीन बना हुआ है। यही नहीं अब तो नप के अधिकारी ने सीधे तौर पर अपनी जवाबदेही से पल्ला झाड़ लिया है। सूचना देने के बावजूद नहीं हो रही है सुरक्षा की पहल रामरेखा घाट पर नियमित रूप से सफाई अभियान चलाने वाले छात्रशक्ति के संजीव तिवारी, रवि, बलिराम, श्याम तथा अन्य युवाओं ने बताया कि सीढि़यों से सरिया बाहर की तरफ से झांक रहा है। इसमें फंस कर कोई भी व्यक्ति घायल हो सकता है। स्थानीय पुजारी अमरनाथ पांडेय उर्फ लाला बाबा ने बताया कि मामले को लेकर कई बार प्रशासनिक अधिकारियों को सूचना दी गई। छठ पर्व के दौरान प्रशासन ने बालू से भरी बोरियों को डालकर सुरक्षा के उपाय किए थे लेकिन बोरियां अब फट गई हैं। नतीजा यह है कि स्थिति जस की तस बनी हुई है। संवेदनहीनता पड़ सकती है जान पर भारी कुछ वर्षों पूर्व कुंभ में हुई भगदड़ जान माल का भारी नुकसान हुआ था। ठीक वही उसी प्रकार का खतरा रामरेखा घाट पर भी मंडरा रहा है। बता दें कि रामरेखा घाट पर प्रतिदिन हजारों लोग स्नान करने को आते हैं। यही नहीं मकर संक्रांति के स्नान को लेकर लाखों लोगों की भीड़ उमड़ने की संभावना है। ऐसे में नप संवेदनहीनता कहीं ना कहीं लोगों की जान पर भारी पड़ सकती है। बयान: गंगा घाट का निर्माण अब नगर परिषद को नहीं करना है। यह कार्य अब नमामि गंगे परियोजना के तहत हो रहा है। इसलिए अब नगर परिषद इस मामले में कुछ भी नहीं कर सकता। राजीव कुमार, कार्यपालक पदाधिकारी, नगर परिषद।