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मुकाम नहीं पा रही शहर की ड्रेनेज सिस्टम

भोजपुर । शहर में पक्के नाले-नालियों का अभाव कायम है। कई जगहों पर मौत को आमंत्रण देते

By Edited By: Published: Fri, 27 Nov 2015 10:28 PM (IST)Updated: Fri, 27 Nov 2015 10:28 PM (IST)
मुकाम नहीं पा रही शहर की ड्रेनेज सिस्टम

भोजपुर । शहर में पक्के नाले-नालियों का अभाव कायम है। कई जगहों पर मौत को आमंत्रण देते खुले में आउट फाल मुख्य नाला भी कायम है तो कई नाले जर्जर हालात में। वहीं कई स्थानों पर नाले-नालियों का अतिक्रमण कर लिया गया है। शहर में आबादी की तुलना में पर्याप्त नाले-नालियां नहीं है। नगर आयुक्त की मानें तो शहर के नये बसे इलाकों में तो नाले बनें ही नहीं है। वहीं पुराने इलाकों में साठ साल पुराने बने मुख्य सभी आउट फाल नालों का अस्तित्व लगभग समाप्त हो गया है। लिहाजा हल्की बारिश में शहर जल में गोता लगाने लगता है। अधिकांश मुख्य नालों का अस्तित्व समाप्त हो चुका है, केवल नाम के लिये ही ये मुख्य नाले हैं।

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अतिक्रमण की भेंट चढ़े शहर के नाले:

शहर की नाले-नालियां अतिक्रमण की चपेट में है। जिस कारण नये इलाके तो बारिश में डूब जाते है, पुराने इलाकों का पानी भी नहीं निकल पाता है। समस्या जस की तस बनीं रहती है। सड़कों के दोनों किनारे नालों पर लोग कब्जा कर सीढ़ी व दुकान बना लिये हैं। नाले पर मकान बना लिये जाने के कारण भी जलनिकासी प्रभावित होती है। अतिक्रमण के खिलाफ अभियान चलाने की योजना केवल फाइलों तक सिमटकर रह गयी है।

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उड़ाही के नाम पर लाखों खर्च, मगर नाले फिर भी जाम:

सूत्रों की माने तो नगर निगम में मुख्य आउट फाल नाला सफाई के नाम पर राशि खर्च कर दिया जाता है। मगर समस्या जस की तस बनी हुई है। पिछले पांच साल में दो करोड़ रूपये से ज्यादा की राशि नाले-नालियों के निर्माण पर खर्च हो चुका है। जबकि डूडा समेत अन्य एजेंसियों ने भी करोड़ों रुपये नालों पर खर्च कर चुकी है। इसके बावजूद नालियां जाम होने के कारण शहर के अधिकांश इलाके जलमग्न हो जाते है।

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प्रस्तावित ड्रेनेज सिस्टम ठंडे बस्ते में:

वर्ष 2010 में शहर की जलनिकासी के लिये एनबीसीसी द्वारा तैयार डीपीआर कागजों में दम तोड़ रही है। ड्रेनेज सिस्टम के लिये 109.33 किलो मीटर के विभिन्न साइज के नाले का निर्माण प्रस्तावित है। पूरे शहर को 11 जोन में बांटकर जल निकासी की व्यवस्था की योजना प्रस्तावित है। इसके लिये 311.92 करोड़ रुपये खर्च का प्रावधान है। यह परियोजना राज्य सरकार से अनुशंसित होकर भारत सरकार को भेज दी गयी है। मगर चार साल बाद भी योजना पर काम शुरू नहीं हुआ। वही गत साल सीवरेज सिस्टम के लिए कोलकाता की लेमार कंपनी ने सिटी सेरीटेशन प्लान तैयार कर सरकार के पास भेजा है। मगर यह योजना भी अमल में नहीं आ सका।

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सिटी डेवलपमेंट प्लान खटाई में : वर्ष 2010 में शहर को सुंदर व स्वच्छ रखने के लिये बनी सिटी डेवलपमेंट प्लान भी खटाई में है। डीपीआर बनाकर प्रस्ताव शासन को भेज दिया गया है। मगर उस पर वर्क अभी तक हुआ है। योजना किस स्थिति में है कोई बताने वाला नहीं है।


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