Move to Jagran APP

बैलगाड़ी से हवाई जहाज तक पहुंचा लोकसभा चुनाव का सफर

लोकतंत्र का मिजाज वही है जो 1952 के पहले लोकसभा चुनाव में था।

By JagranEdited By: Published: Sun, 07 Apr 2019 11:33 PM (IST)Updated: Sun, 07 Apr 2019 11:33 PM (IST)
बैलगाड़ी से हवाई जहाज तक पहुंचा लोकसभा चुनाव का सफर
बैलगाड़ी से हवाई जहाज तक पहुंचा लोकसभा चुनाव का सफर

आरा। लोकतंत्र का मिजाज वही है, जो 1952 के पहले लोकसभा चुनाव में था। चुनाव की प्रक्रिया कितनी बदल गई, लेकिन लोकतंत्र में मतदाताओं का मिजाज आज भी वही है। लोकतंत्र का महापर्व चुनाव तब टीन वाला बक्सा एवं बैलट पेपर में हुआ करता था। लेकिन आज प्रक्रिया बदलकर ईवीएम एवं वीवीपैट तक पहुंच गई हैं। चुनाव के मुद्दे आज भी वही हैं जो 1952 के पहले लोकसभा चुनाव में थे। लेकिन चुनाव के प्रचार के तरीके आज हाईटेक हो चुका है। उस दौरान बैलगाड़ी एवं साइकिल से चुनाव का प्रचार हुआ करता था। धान की रोपनी के वक्त जिस उत्सवी माहौल में महिलाओं की सामूहिक कजरी गीतों से जिस तरह खेत, बधार एवं पगडंडियां गुलजार हो जाती थी, ठीक उसी तर्ज पर लोकसभा चुनाव के महापर्व में महिलाओं का समूह अथवा झूंड बैलगाड़ी में बैठ कर अथवा पैदल चलकर मांगलिक गीतें गाती हुई मतदान केंद्रों पर जाकर मतदान करती थी। चुनाव के जो मुद्दे उस दौरान हुआ करते थे, वहीं मुद्दे आज भी हैं। चुनाव के मुद्दे कृषि, सड़क, बिजली, शिक्षा, गांव की सड़कें, गलियां, नालियां व पेयजल आज भी कायम है। उस दौरान प्रत्याशियों का प्रचार पार्टी के झंडा बैनर से पट्टी बैलगाड़ी पर होती थी। उस दौरान जहां सांझ, वहीं बिहान वाली कहावत भी चरितार्थ हो जाती थी। प्रत्याशी से लेकर समर्थको का हुजूम गांव में ही लिट्टी चोखा खाकर रात गुजार लेता था। गांव में चौपाल भी लग जाते थे और विकास की बातें, वादे होते थे। आज देश का लोकतंत्र 17वीं लोकसभा चुनाव में सामने है।

loksabha election banner

Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.