भगवान आदिनाथ की मूर्ति बरामद
भोजपुर के सहार सोन नदी के बालू से मंगलवार की अहले सुबह करीब डेढ़ सौ साल पुरानी जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर भगवान आदिनाथ की बेशकीमती मूर्ति बरामद की गई।
आरा। भोजपुर के सहार सोन नदी के बालू से मंगलवार की अहले सुबह करीब डेढ़ सौ साल पुरानी जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर भगवान आदिनाथ की बेशकीमती मूर्ति बरामद की गई। इन्हें ऋषभदेव भी कहा जाता है। बरामद मूर्ति पुलिस को सुपुर्द कर दी गई है। पुलिस मूर्ति को अपनी निगरानी में लेकर छानबीन कर रही है। ग्रामीण बरामद मूर्ति को अष्ट धातु का बता रहे है। हालांकि, पुलिस के अनुसार जांच के बाद ही सही पता चल सकेगा। बरामद मूर्ति के आरा के किसी जैन मंदिर से चोरी होने की संभावना जताई जा रही है। गौरतलब हो कि तीन साल पहले भी बड़हरा के गंगा नदी से लावारिस हालत में भगवान महावीर की मूर्ति बरामद की गई थी। मिली जानकारी के अनुसार सहार सोन नदी में सहार गांव निवासी रामकृपाल चौधरी का पुत्र मालिक चौधरी मंगलवार की सुबह दोस्तों के साथ नहाने गया हुआ था। जहां बालू में मूर्ति का ऊपरी भाग दिखाई पड़ा। इसके बाद उसे बाहर निकाला गया। मूर्ति मिलने की खबर पूरे क्षेत्र में फैल गई। जिसे देखने के लिए काफी संख्या में ग्रामीण इकट्ठा हो गए। सूचना पर सहार पुलिस मूर्ति को अपने कब्जे में लेकर जांच पड़ताल कर रही है। जानकार सूत्रों की मानें तो बरामद मूर्ति जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर भगवान आदिनाथ की है। जिसका वजन करीब आठ से दस किलोग्राम आंका जा रहा है। जिस पर वर्ष 1883 और आरा नगर अंकित है। इसको लेकर कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। थानाध्यक्ष हरेंद्र कुमार ने बताया कि मूर्ति की जांच के बाद ही पता चलेगा की वह किस धातु की है।
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तीन साल पहले भी मिली थी भगवान महावीर की मूर्ति:
सनद हो कि 30 जनवरी 2016 को कृष्णागढ़ थाना अन्तर्गत सिन्हा ओपी क्षेत्र के मौजमपुर वाटर ट्रीटमेन्ट प्लांट स्थित गंगा घाट से भगवान महावीर की मूर्ति बरामद की गई थी। जानकारी के अनुसार सोहरा गांव का मछुआरा कुमार बिन्द मौजमपुर गंगा घाट के पास जाल लगा कर मछली पकड़ रहा था कि जाल में भगवान महावीर की मूर्ति फंस कर बाहर निकली थी। धातु निर्मित मूर्ति को देख कर मछुआरे ने तुरत स्थानीय चौकीदार को इस बात की सूचना दी थी। जिसके बाद चौकीदार द्वारा कृष्णागढ़ थाना को दी गई खबर के पश्चात मूर्ति को बरामद कर थाना लाया गया था।