खतरे में है दुर्लभ ताड़पत्र व पांडुलिपियों का अस्तित्व
भोजपुर। शहर के प्राचीन पुस्तकालयों में से एक है प्रसिद्ध जैन सिद्धांत भवन। स्थानीय जेल रोड स्थि्
भोजपुर। शहर के प्राचीन पुस्तकालयों में से एक है प्रसिद्ध जैन सिद्धांत भवन। स्थानीय जेल रोड स्थित विद्या की देवी सरस्वती की प्रतिमायुक्त यह पुस्तकालय विदेशों में ऑरियेन्टल लाइब्रेरी के नाम से प्रसिद्ध है। यह उत्तर भारत में जैनिज्म व प्राच्य विद्या का सर्वाधिक महत्वपूर्ण केन्द्रों में से है। सरकारी अनुदान के अभाव में आर्थिक संकट के कारण इसमें मौजूद सैकड़ों दुर्लभ पांडुलिपियों का अस्तित्व खतरे में है।
1903 में पड़ी थी नींव : वर्ष 1903 में स्थापित लगभग 30 फुट चौड़ी व 65 फुट लंबी इस लाइब्रेरी के संस्थापक स्व. देव कुमार जैन ने एक दिन किसी व्यक्ति को प्राचीन दुर्लभ ग्रंथों को बेचते हुए देखा। उसी समय उनके मन में दुर्लभ ग्र्रंथों के प्रति मोह जगा और उन्होंने उन दुर्लभ ग्रंथों को स्वयं खरीद लिया। उसके बाद से ही दुर्लभ ग्रंथों का संग्रह करने का सिलसिला यहां शुरू हुआ।
कई भाषाओं की हैं दुर्लभ पुस्तकें : इस पुस्तकालय में विभिन्न भाषाओं की दुर्लभ पुस्तकें मौजूद हैं। इसमें 25 सौ ताड़पत्र, छह हजार पांच सौ दुर्लभ कर्गलीय ग्रंथ, बौद्धागम, प्राचीन अर्वाचीन, प्राकृत, पाली, अपभ्रंश, हिन्दी, संस्कृत, मराठी, तमिल, बंगला, गुजराती, जर्मन, इटालियन, फ्रेंच आदि की किताबें हैं। इन पुस्तकों के अधिकांशत: का लिपि काल 15 वीं व 16 वीं शताब्दी है।
पुस्तकालय में है कलाकृतियां व सिक्के : लाइब्रेरी में नवाब वाजिद अली के दरबारी चित्रकार अब्दुल गनी व चित्रकार सुबोध कुमार जैन की कलाकृतियां हैं। इसके अलावा यहां विभिन्न शासकों के शासनकाल के सिक्के हैं।
देश-विदेश के लोग हुए लाभांवित : इस लाइब्रेरी से डा. विन्टवीच, हर्मन, जेकाबी, डा. अस्ट्रा, प्रो. डब्लू, नारमैन, ब्राउन, पंडिताचार्य चारूकृति के अलावा अनेक देशी-विदेशी विद्वान व शोधार्थी अब तक लाभांवित हुए हैं।
बंद है प्रकाशन : जैन सिद्धांत भास्कर व जैना एंटीकेयरी काफी प्रसिद्ध रहा है। लेकिन आर्थिक संकट के कारण इनका प्रकाशन 1999 से बंद है। जगह के अभाव में पुस्तकों व पांडुलिपियों के रख-रखाव में परेशानी हो रही हैं।
यह पुस्तकालय वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय से संबंद्ध है। इसके विकास व शोधार्थियों की सुविधा के लिए वीकेएसयू के कुलपति को एक प्रोजेक्ट दिया गया है। लाइब्रेरी के सदस्य को सिनेट का सदस्य बनाने के लिए भी लिखा गया है। लेकिन अभी तक इस संबंध में कोई कार्रवाई नहीं की गई। बिहार सरकार को भी इसके विकास के लिए एक प्रोजेक्ट दिया गया है, लेकिन अभी तक कोई सुनवाई नहीं हुई है। प्रबंध कारिणी समिति के सहयोग से यह पुस्तकालय संचालित हो रहा है।
प्रशांत कुमार जैन
संयुक्त सचिव
ऑरियेन्टल लाइब्रेरी