सूबेदार ने पौधों को बनाया जीवन साथी
पर्यावरण की समस्या गंभीर बनते जा रही है।
आरा। पर्यावरण की समस्या गंभीर बनते जा रही है। मानव जीवन के लिए जहां यह खतरा है वहीं शासन-प्रशासन के लिए यह गंभीर चुनौती भी है। ऐसे में देश और राज्य स्तर पर पर्यावरण की सुरक्षा को मुहिम चलाने की कवायद जारी है। कई योजनाओं पर काम भी चल रहा है। पौधे लगाने के साथ-साथ पुराने वाहनों के परिचालन पर रोक और खेतों में पुआल व फसल अवशेष जलाने पर रोक समेत कई वैसे कार्य किए जा रहे है जो पर्यावरण को सुरक्षित कर सके। जल -जीवन -हरियाली अभियान के तहत भोजपुर की भूमि को हरा-भरा बनाने और पर्यावरण की सुरक्षा के लिए जिले में 8.37 लाख पौधरोपण करने की योजना है। इसके लिए सभी विभागों को पौधरोपण का लक्ष्य भी निर्धारित किया गया है। वित्तीय वर्ष 2020 -21 में एक अभियान चलाकर पूरे राज्य स्तर पर पौधरोपण का कार्यक्रम किया जा रहा है।
इससे इतर भोजपुर जिले के उदवंतनगर प्रखंड के रघुपुर निवासी 65 वर्षीय सूबेदार यादव पर्यावरण संरक्षण के लिए पौधे लगाने और वृक्ष बचाने की मुहिम में जुटे हैं। वेअपने गांव में पौधरोपण के साथ उसको बचाने के लिए पौधों की घेराबंदी से लेकर उसकी सिचाई तक करते हैं। उन्होंने 140 से ज्यादा वृक्षों को जीवन देने में सफलता पाई है। सूबेदार कहते हैं कि 14 वर्ष पूर्व पत्नी की मौत के बाद मन काफी विचलित था। जीवन में अकेलापन हावी होने लगा था। दूर-दूर तक निराशा और असहाय वाली स्थिति बन आई थी। तब मन में ख्याल आया कि क्यों नहीं अपने शेष बचे जीवन को पर्यावरण संरक्षण की मुहिम के साथ हीं जोड़ दें। मन में आए इस विचार के बाद पौधरोपण और वृक्ष बचाने के अभियान को जीवन साथी बना लिया। अब पीपल, बरगद, पाकड़, नीम समेत अन्य पर्यावरणीय पौधों को जीवन देना उनकी दिनचर्या में शामिल है। सबसे पहले वर्ष 2007 में कोहड़ा बांध पर एक पीपल का पौधा लगाकर उन्होंने अपने इस अभियान की शुरुआत की थी। उदवंतनगर प्रखंड के कोहड़ा, रघुपुर, कोहड़ा बांध, भुटौली, सोनपुर के महाराजा के टोला में उनका यह अभियान जारी है। जेठ की दुपहिरया हो या कड़ाके की ठंड वे खुद के लगाए पौधे को एक बार जरूर निहारने जाते हैं। आसपास के खर-पतवार को साफ करने के साथ पानी देते हैं। बांस की फराठी व ईंट के टुकड़ों से उसे बचाने के लिए उसकी घेराबंदी भी करते हैं। कहीं-कहीं तो उनको आधा किलोमीटर से अधिक की दूरी से पानी लाना पड़ता है ताकि वे पौधे को सिचित कर बचा सके।
---------
कहते हैं सूबेदार यादव:
पत्नी के निधन के बाद मन में ख्याल आया कि क्यों नहीं अपने शेष बचे जीवन को पर्यावरण संरक्षण की मुहिम के साथ हीं जोड़ दें। मन में आए इस विचार के बाद पौधरोपण और वृक्ष बचाने के अभियान को जीवन साथी बना लिया। तब से पीपल, बरगद, पाकड़, नीम समेत अन्य पर्यावरणीय पौधों को जीवन देना मेरी दिनचर्या में शामिल है।
---------------
कहती हैं सोनवर्षा पंचायत की सरपंच संक्रांति देवी: सूबेदार यादव का यह अभियान क्षेत्र में चर्चा का विषय है। वे अपने बल पर पौधा लगाने के साथ-साथ उसकी सुरक्षा और उसे वृक्ष होने तक बचाने में लगे रहते हैं। अमूमन लोग पौधा लगाकर छोड़ देते हैं, जिससे अधिकांश पौधा नष्ट हो जाता है। लेकिन सूबेदार यादव पौधे की लगातार देखभाल और सुरक्षित रखते हैं।