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शैलेंद्र की पुत्री अमला को खींच लाई पूर्वजों की गांव की मिट्टी

अपने पूर्वजों के गांव की मिट्टी की बात ही कुछ और है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 03 Feb 2019 10:46 PM (IST)Updated: Sun, 03 Feb 2019 10:46 PM (IST)
शैलेंद्र की पुत्री अमला को खींच लाई  पूर्वजों की गांव की मिट्टी
शैलेंद्र की पुत्री अमला को खींच लाई पूर्वजों की गांव की मिट्टी

आरा। अपने पूर्वजों के गांव की मिट्टी की बात ही कुछ और है। रविवार को भारतीय सीनेजगत के मशहूर गीतकार शंकरदास केसरीलाल शैलेन्द्र की सुपुत्री अमला शैलेन्द्र मजुमदार आरा शहर से लगभग तीन किलोमीटर दूर अपने पूर्वजों के गांव अख्तियारपुर (बड़का गांव) पहुंची। दुबई में रह रहीं लगभग 67वर्षीय श्रीमती मजुमदार ग्रामीणों से मिलकर भावुक हो गईं। गांव की पगडंडियों से गुजरते हुए कभी छोटे-छोटे बच्चों को देखती तो, कभी दलित परिवार की महिलाओं को। स्कूल के पास रूककर एक बार निहारा। तभी किसी ने पूछा-आप तो इस तरह के गांव में पहली बार आई हैं। श्रीमती मजुमदार बोलीं-नहीं ऐसी बात नहीं है। इसके पहले अन्य गांवों में भी गई हूं। लेकिन इस गांव की बात कुछ और है। क्योंकि यह गांव मेरे पूर्वजों का है। धीरे-धीरे चलते हुए बड़े-बुजुर्गों को देखकर कभी हाथ जोड़कर अभिवादन करतीं तो कभी अन्य लोगों का अभिवादन स्वीकार करतीं। पटना एक कार्यक्रम के सिलसिले में आने के बाद अख्तियारपुर पहुंची थीं। इनके साथ पूर्व मंत्री शिवानंद तिवारी, वरिष्ठ साहित्यकार यादवेन्द्र, वरिष्ठ कथाकार डॉ.नीरज ¨सह समेत अन्य थे। अपने पूर्वजों के कथित परिवार से मिली। हालचाल पूछा। एक बुजुर्ग से पूछा गया-शैलेन्द्र जी को पहचानते हैं। जवाब मिला- हां बहुत बड़े गीतकार थे। रेडियो पर उनका गाना सुनते हैं। लगभग एक घंटे रहने के बाद ग्रामीणों से यह कहकर विदा लिया कि पटना में कार्यक्रम में शामिल होना है, विलंब हो जाएगा।

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पुन: आने का किया वादा ग्रामीणों ने रूकने का अनुरोध किया तो श्रीमती मजुमदार अपनी मजबूरी बताईं। भाव-विह्ल होकर उन्होंने कहा कि बहुत अच्छा लगा यहां आकर। जाने की इच्छा नहीं हो रही है, लेकिन मजबूरी है। पुन: यहां आराम से आउंगी तो रहूंगी। आप लोगों से खूब बातें करूंगी। श्रीमती मजुमदार ने बताया कि शैलेन्द्र जी एक डायरी मिली, जिसमें इस गांव का जिक्र हैं। तब से यहां आने की मेरी इच्छा जागृत हुई। उन्होंने बताया कि यहां आकर बहुत खुशी हो रही है और आगे भी आउंगी। उन्होंने बताया कि तीन भाई और दो बहन में तीसरे नंबर पर वे हैं। बड़े भाई शैली शैलेन्द्र, दूसरे भाई मनोज शैली, अमला शैलेन्द्र, बहन गोपा शैलेन्द्र और छोटे भाई दिनेश शैलेन्द्र हैं। 2017 में आए थे शैलेन्द्र के छोटे पुत्र दिनेश शैलेन्द्र शैलेन्द्र के छोटे पुत्र असिस्टेंट डायरेक्टर दिनेश शैलेन्द्र अख्तियारपुर अक्टूबर 2017 में आए थे। पूर्वजों के परिवार के संतोष कुमार दास ने बताया कि इनके साथ कांशीराम की बहन और उत्तर प्रदेश के एक सांसद भी थे। अपने पूर्वजों के गांव में लगभग छह घंटे रूके थे। ग्रामीणों से बातचीत के बाद पुन: अख्तियारपुर आने का वादा करके मुम्बई लौट गए थे।

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ग्रामीणों ने कहा कि गर्व है हमें दीपक श्रीवास्तव, विनोद कुमार पासवान, विनोद कुमार, मिथलेश देवी समेत अन्य ग्रामीण श्रीमती मजुमदार से मिलकर गदगद थे। कहा कि हमें गर्व है कि शैलेन्द्र जी के पूर्वजों के गांव में हम रहते हैं। इनके गानों को सुनते हुए हम सब बड़े हुए हैं। इनकी स्मृति को जिन्दा रखने के लिए गांव में इनकी प्रतिमा स्थापित करेंगे।

गीतकार शैलेन्द्र का जन्म रावल¨पडी में 30 अगस्त 1923 को हुआ था। उनके लिखे गीत वर्षों बाद लोगों दिलो दिमाग व जुबान पर है। कई गीत आज भी प्ररेणा देते हैं। सजन रे झूठ मत बोलो.., दुनिया बनाने वाले क्या तेरे मन में समाई.., किसी की मुस्कुराहटों पे.., सब कुछ सीखा हमने.., दोस्त-दोस्त न रहा.., हरदिल जो प्यार करेगा.., तू जिन्दा है तो जिन्दगी की जीत..समेत अनेक गीतों को आज भी हर वर्ग के लोग पसंद करते हैं। 14 दिसंबर 1966 को मुम्बई में इनका निधन हो गया।


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