सात समंदर पार भी भगवान भास्कर को दिया अर्घ्य
सात समंदर पार भी आस्था का प्रवाह बहा। अमेरिका, इंगलैंड, अस्ट्रेलिया, दक्षिण अफ्रिका, जापान, मॉरीशस, सुरीनाम, त्रिनाद जैसे अन्य देशों में रहते हुए भारतीय मूल के लोगों ने अपनी विरासत और संस्कृति को बचाये रखते हुए अपने आस्था का इजहार बढ़-चढ़कर किया।
आरा। सात समंदर पार भी आस्था का प्रवाह बहा। अमेरिका, इंगलैंड, अस्ट्रेलिया, दक्षिण अफ्रिका, जापान, मॉरीशस, सुरीनाम, त्रिनाद जैसे अन्य देशों में रहते हुए भारतीय मूल के लोगों ने अपनी विरासत और संस्कृति को बचाये रखते हुए अपने आस्था का इजहार बढ़-चढ़कर किया। मौका छठ पर्व के चार दिवसीय अनुष्ठान का मौका था। श्रद्धालू प्रवासी भारतीयों ने अलग-अलग देशों में वहां उपलब्ध पूजन सामग्री व पारिधान में तैयारी कर उत्साह व श्रद्धा पूर्वक डूबते और उगते भगवान भाष्कर को अर्घ्य दान दिया।
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अर्घ्य दान की पल-पल आती रही तस्वीरें:
आस्था के महापर्व छठ पूजा की धूम विदेशों में भी मची रही। बिहार एवं पूर्वी उत्तरप्रदेश के लोगों ने विदेशी धरती पर सूर्योपासना के इस महापर्व की छटा बिखेरी। भोजपुर समेत बक्सर व रोहतास जिले के लोगों ने पूजा के पूरे अनुष्ठान कद्दू भात, खरना, अस्ताचलगामी एवं उदीयमान भगवान भाष्कर को अर्घ्य दान की तस्वीर लगातार भेजते रहे। शुद्ध घी में गुड़ के पकवान समेत दउरा में फल सामग्री को सजाने की भी तस्वीरों के आने का सिलसिला जारी रहा। यह सिलसिला सबसे ज्यादा अमेरिका के विभिन्न हिस्सों शिकागो से डॉ. हरिशंकर ¨सह, न्यूयार्क से रश्मि उर्फ डॉली व जग्रन्नाथ पाण्डेय, डर्वन से सूचिता कुमारी, सिडनी से स्वाती कुमारी, जापान से विदासिता चर्तुवेदी व डॉ. एस.एन. चौबे आदि थे।
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छठ पूजा पर आधारित गीतों का भी रहा धूम: आस्था का प्रवाह दिल छूने वाली लोक गीतों Xह्नह्वश्रह्ल;केलवा जे फरेला घवद से, ओह पर सुगा मेडराये,'Xह्नह्वश्रह्ल;चार पहर राती जल थल सेई ला, सेई ला शरण तोहार..हे छठी मइ्रया'जैसे अनेकों भाषाओें यथा भोजपुरी व मगही में ज्यादातर पूजा स्थल पर खूब बजे। व्रती एवं श्रद्धालु महिलाएं भी अनुष्ठान के चारों दिन के अवसर पर जुटकर सामूहिक रूप से गीतों का गाया।
लोक आस्था के महापर्व छठ पूजा में पारंपरिक वेश भू्षा पूरी तरह हावी रहा। व्रती महिलाएं जहां साड़ी पहनकर पूजा हर रस्म का निर्वहन की तो व्रती पुरूष वर्ग के लोग पीले रंग की धोती व गमछा को धारण कर भगवान को अर्घ्य दान किया। अर्घ्य दान स्थल पर जमीन में चादर बिछाकर पूजा में सामूहिक ²श्य था।