गणितज्ञ के नाम पर बनी सड़क, नामकरण का नहीं लगा शिलापट
बात वर्ष 1993 की है। जब बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद गुमनामी और विक्षिप्त की हालत में स्वजनों को मिले गणितज्ञ डॉ वशिष्ठ नारायण सिंह को देखने के लिए उनके पैतृक गांव बसंतपुर आए थे।
आरा। बात वर्ष 1993 की है। जब बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद गुमनामी और विक्षिप्त की हालत में स्वजनों को मिले गणितज्ञ डॉ वशिष्ठ नारायण सिंह को देखने के लिए उनके पैतृक गांव बसंतपुर आए थे। उस दौरान तत्कालीन मुख्यमंत्री ने पांच लोगों को नौकरी समेत महान गणितज्ञ डॉ वशिष्ठ नारायण सिंह के नाम पर धोबहा बाजार से बसंतपुर गांव को जोड़ने वाली मुख्य सड़क को बनाने की घोषणा की थी। लगभग तीन किलोमीटर लंबी इस सड़क का निर्माण कार्य तब आरईओ अब ग्रामीण कार्य विभाग ने किया था। वर्ष 1994 में सड़क का निर्माण कार्य पूरा हो गया, परंतु तत्कालीन मुख्यमंत्री की घोषणा के अनुसार सड़क का नामकरण डॉक्टर वशिष्ठ नारायण सिंह पथ नहीं हुआ। इस सड़क के प्रारंभ से लेकर अंत तक कहीं भी गणितज्ञ डॉक्टर वशिष्ठ नारायण सिंह के नाम का शीला पट नहीं है। ग्रामीणों को इस बात का मलाल आज भी है कि उनके नाम पर पथ का निर्माण तो जरूर हुआ लेकिन नामकरण नहीं हुआ और कहीं शीला पट विभाग नहीं लगाया। आज उस पथ की स्थिति भी जीर्ण- शीर्ण हो चली है। सड़क में जगह-जगह गड्ढे उभर आए हैं। उस सड़क से होकर आने-जाने वाले लोगों के मुंह से यह बात बरबस हीं निकल जा रही है कि काश! इस महान विभूति के नाम पर सड़क का नामकरण हो जाता और शीला पट भी लग जाता है।
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सड़क की बेहतरी के लिए हर संभव कोशिश की जाएगी। हालांकि विगत वर्ष इस सड़क में मरम्मत का कार्य हुआ था। सड़क को बेहतर बनाने के लिए अभियंताओं का दल जिसमें मैं स्वयं रहूंगा सोमवार को निरीक्षण किया जाएगा। जल्द हीं सड़क को बेहतर बनाने के लिए डीपीआर तैयार किया जाएगा। महान गणितज्ञ डॉक्टर वशिष्ठ नारायण सिंह के नाम पर पथ के नामकरण के संदर्भ में विभागीय स्तर पर जानकारी प्राप्त की जाएगी और जल्द हीं उनके नाम पर पथ का नामकरण और शीला पट लगाया जाएगा।
अशोक कुमार मिश्रा
मुख्य अभियंता
ग्रामीण कार्य विभाग, पटना।