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कोर्स वर्क से वंचित शोधार्थी करेंगे प्रदर्शन

छात्र संगठन आइसा आगामी 28 फरवरी को वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय प्रशासन के विरोध में इतिहास विभाग में पीएचडी कोर्स वर्क से वंचित शोधार्थियों के साथ प्रदर्शन करेगा।

By JagranEdited By: Published: Mon, 24 Feb 2020 11:04 PM (IST)Updated: Tue, 25 Feb 2020 06:19 AM (IST)
कोर्स वर्क से वंचित शोधार्थी करेंगे प्रदर्शन
कोर्स वर्क से वंचित शोधार्थी करेंगे प्रदर्शन

आरा। छात्र संगठन आइसा आगामी 28 फरवरी को वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय प्रशासन के विरोध में इतिहास विभाग में पीएचडी कोर्स वर्क से वंचित शोधार्थियों के साथ प्रदर्शन करेगा। आइसा के राज्य सचिव सबीर कुमार ने बताया कि विवि प्रशासन व इतिहास विभाग की लापरवाही की खामियाजा विद्यार्थी क्यों भरें। उन्होंने विवि प्रशासन से वंचित शोधार्थियों का कोर्स वर्क शुरू करने की मांग की। कोर्स वर्क से वंचित शोधार्थियों की संख्या 23 बतायी गई है। सभी इतिहास विभाग के बताये जाते हैं। इन लोगों ने पीएचडी कोर्स वर्क के लिए पंजीयन विगत 21 सितंबर 2019 को कराया गया था। लेकिन बाद में सभी पंजीकृत शोधार्थियों को विवि प्रशासन ने कोर्स वर्क कराने से इन्कार कर दिया। इसको लेकर वे कुलपति प्रो देवी प्रसाद तिवारी से लेकर विभागध्यक्ष और छात्र कल्याण अध्यक्ष से मिल चुके हैं। लेकिन किसी ने उन्हें संतोष जनक उत्तर नहीं दिया। उधर विवि प्रशासन ने प्री-पीएचडी जांच परीक्षा इनके पंजीयन कराने के एक माह बाद 22 अक्तूबर को आयोजित किया। इन दिनों जांच परीक्षा में उत्तीर्ण अभ्यर्थियों को कोर्स वर्क के लिए पंजीकृत करने की प्रक्रिया चल रही है। इसकी अंतिम तिथि 25 फरवरी सुनिश्चित की गई है। जानकार लोगों ने बताया कि इतिहास विभाग में अभी तक 25 सफल अभ्यर्थियों का पंजीयन हो चुका है। ऐसी स्थिति में कोर्स वर्क से वंचित अभ्यर्थियों के कोर्स वर्क शुरू करने की संभावना क्षीण हो गयी है।

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पंजीयन के बाद भी 32 रिक्तियां भेजनी पड़ी मुसिबत : विवि प्रशासन का तर्क है कि इतिहास विभाग ने 32 शोधार्थी की रिक्तियां विवि में भेजी थी। जबकि उसे मात्र 9 भेजनी चाहिए थी। उसी के अनुसार सफल अभ्यर्थियों का पंजीयन कराया जाना चाहिए था। इतिहास विभाग के तात्कालिन विभागाध्यक्ष प्रो. नारद सिंह ने बताया कि विभाग में कुल 32 शोधार्थियों के लिए रिक्तियां थी। अभ्यर्थियों का तर्क है कि उनके पंजीयन के बाद दो विभागाध्यक्ष सेवा निवृत हो गये। किसी ने भी कोर्स वर्क शुरू नहीं कराया। उन्होंने बताया कि उस समय जिन-जिन विभागों में पंजीयन हुआ था। सभी में कोर्स वर्क शुरू किया गया। लेकिन इतिहास विभाग में लापरवाही के कारण शोधार्थियों के पंजीयन को गंभीरत से नहीं लिया गया। उधर परीक्षा विभाग का तर्क है कि विभाग की रिक्तियों के अनुसार मेधा सूची का निर्माण किया गया है। इसलिए चयनित अभ्यर्थियों का पंजीयन कराया गया।

कोर्स वर्क के लिए विवि ने निकाला था विज्ञापन : विवि के कुलसचिव कर्नल श्यामनंदन झा ने विगत 26 सितंबर 2019 को नोटिस जारी किया। इसमें पीएचडी रेगुलेशन 2009 के आधार पर प्री-पीएचडी कोर्स वर्क के के लिए विगत 23 सितंबर तक विभाग अर्हता प्राप्ति छात्रों यानी जीआरएफ व नेट उत्तीर्ण छात्रों का नामांकन लेने का आदेश दिया गया था। नामांकित छात्रों को एक अक्तूबर 2019 से पीएचडी रेगुलेशन 2016 के अनुसार ही प्री-पीएचडी कोर्स वर्क में नामांकन करने का आदेश दिया था। बता दें कि यह आदेश विगत 18 सितंबर को संपन्न हुए विद्वत परिषद की बैठक के आदेश के आलोक में दिया गया था। इस आदेश के तहत विवि के इतिहास विभाग में 23 शोधार्थियों ने पांच हजार का चालान बनाकर पंजीयन कराया। लेकिन उनका कोर्स वर्क उस समय शुरू नहीं किया गया। विवि प्रशासन ने प्री-पीएचडी जांच परीक्षा का विज्ञापन सितंबर में प्रकाशित किया, जिसमें रिक्तियों के अनुसार शोधार्थी की मेधा सूची तैयार की गई। जांच परीक्षा 12 अक्तूबर को आयोजित की गई। विगत 30 जनवरी को सफल अभ्यर्थियों की मेधा सूची बनाकर परीक्षा विभाग को संबंधित किया गया।

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कोर्स वर्क से वंचित शोधार्थी

-निरंजन कुमार केसरी, धीरज कुमार पाल, मोहम्मद अब्बास, जीतेंद्र कुमार, कलामुद्दीन अंसारी, श्वेता कुमारी, शशि प्रकाश, राजेश कुमार, सुधांशु शेखर, कर्मवीर, अमित कुमार आदि बताया गया है।


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