योजनाओं में पारदर्शिता को लेकर विभाग ने शुरू की कवायद
महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना को धरातल पर उतारने तथा इसे और पारदर्शी बनाने के मकसद से विभाग ने एक और नया प्रयोग किया है। वैसे तो जब से यह योजना लागू हुई है इसमें हमेशा ही पारदर्शिता को लेकर नए-नए प्रयोग होते आ रहे हैं।
आरा। महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना को धरातल पर उतारने तथा इसे और पारदर्शी बनाने के मकसद से विभाग ने एक और नया प्रयोग किया है। वैसे तो जब से यह योजना लागू हुई है, इसमें हमेशा ही पारदर्शिता को लेकर नए-नए प्रयोग होते आ रहे हैं। अक्टूबर में विभाग ने इस योजना के लिए नियुक्त कार्यपालक अभियंता, प्रखंड कार्यक्रम पदाधिकारी, सहायक अभियंता, कनीय अभियंता और पीटीए को लैपटॉप देने का निर्णय लेते हुए क्रय के लिए विभाग को राशि आवंटित कर दिया। आवंटन के बाद सभी पदाधिकारियों को लैपटॉप मुहैया करा दिया गया है। अब इस योजना के तहत भुगतान से लेकर योजना का प्राक्कलन और माफी पुस्तिका भी इस लैपटॉप के माध्यम से ऑनलाइन होगा। यह सब कुछ विभाग ने इस योजना को और पारदर्शिता के साथ धरातल पर उतारने के लिए किया है। ग्रामीण विकास विभाग के मानक के अनुसार प्रत्येक लैपटॉप का मूल्य 75,000 रुपये से लेकर 85,000 रुपये तक निर्धारित किया गया है। इसकी खासियत यह है कि यह लैपटॉप विभागीय वेबसाइट से लेकर सेटेलाइट से जुड़ा हुआ है। बता दें कि ग्राम पंचायतों में ग्राम सभा के माध्यम से चयनित सभी योजनाओं का जियोटैगिग पहले ही कराया जा चुका है। जब इन योजनाओं का प्राक्कलन तैयार किया जाएगा तो उसी मानक के अनुरूप होगा। जियो टैगिग से यह बात साफ हो गई है कि योजना एवं कार्य स्थल विभागीय वेबसाइट से लेकर सेटेलाइट से जुड़ा हुआ है। इससे पता चल जाएगा कि योजना का प्राक्कलन बनाने में कहीं अनियमितता तो नहीं बरती गई है। अथवा योजना का नाम आते ही साइड पर एक क्लिक करने के बाद योजना का पूरा डिटेल्स साइड के वेबसाइट पर उपलब्ध हो जाएगा। जिससे योजना से संबंधित किसी भी तरह की अड़चनों को दूर करने में विभाग को सहुलियत मिलेगी। वैसे तो पहले से हीं इस योजना के तहत मजदूरों को आरटीजीएस के माध्यम से खाते में मजदूरी का भुगतान होता आ रहा है।