REALITY CHECK: ट्रेनों में खतरनाक जुगाड़ के सहारे सफर कर रहे यात्री, जानिए
बिहार की ट्रेनों में जगह की कमी के कारण यात्री खतरनाक जुगाड़ तकनीक अपना रहे हैं। एक ट्रेन के रियलिटी चेक में हमने ऐसा ही पाया। आप भी जानिए।
भोजपुर [दीपक]। केन्द्र सरकार एक तरफ जहां रेल यात्रियों की सुविधाओं को लेकर आए दिन नई-नई घोषणाएं कर रही है, वहीं ट्रेनों के जेनरल में सफर करने वालों को बैठने तक के लिए सीट के लाले पड़ते दिखाई दे रहे हैं। यह नजारा लंबी दूरी की ट्रेनों में भी है। आपको आश्चर्य होगा कि बाहरी प्रदेशों से बिहार आने वाली प्रमुख ट्रेनों के जेनरल डिब्बों में इन दिनों 'खतरनाक जुगाड़ तकनीक' का खेल चल रहा है।
जेनरल डब्बों में सफर करने वाले यात्रियों को सीट नहीं मिलने के चलते जैसी कष्टकारी जुगाड़ तकनीक को अपनाना पड़ रहा है, उसे देखकर आप दंग रह जाएंगे। इसी तरह का नजारा शुक्रवार को आरा रेलवे स्टेशन के प्लेटफॉर्म नंबर एक पर खड़ी बास्को-पटना एक्सप्रेस ट्रेन के जेनरल डिब्बे में देखने को मिला।
सुबह के करीब 10:40 बज रहे थे। जेनरल डिब्बे में सफर करने वाले मुसाफिर बेड बेडशीट से 'झूला सीट' बनाकर उसपर सफर करने को विवश दिखे। पूछने पर पता चला कि वे 48 घंटे से भी अधिक समय से इसी तरह सफर कर अपने घर लौट रहे है। बोगियों की सीटें खचाखच भरीं थीं। कई पैसेंजर फर्श पर भी बैठकर सफर करते देखे गए। एक-एक सीट पर सात-सात पैसेंजर बैठकर लंबा सफर कर रहे थे।
सीट नहीं मिली तो अपनानी पड़ी जुगाड़ तकनीक
बास्को-पटना एक्सप्रेस के जेनरल डिब्बे में सफर कर रहे कटिहार के गौतम व रमण ने बताया कि वे महाराष्ट्र के प्राईवेट कंपनी में नौकरी करते हैं। घर आना था। जब वह 18 अप्रैल की रात सावंतवाड़ी स्टेशन पर ट्रेन पकडऩे आए तो जेनरल डिब्बे पैसेंजरों से खचाखच भरे थे। बैठने के लिए जगह नहीं थी। इसके बाद उन्हें जुगाड़ तकनीक का सहारा लेना पड़ा। प्लेटफार्म पर बिछाने के लिए बेड सीट लाए थे, जिससे झूला सीट बना लिया। इसके बाद उसी पर सो कर घर जा रहे हैं।
इसी तरह लखीसराय जिले के संतोष ने बताया कि वे गोवा से अपने घर जा रहा है। बास्को से जब ट्रेन खुली तो उसी समय सीट फुल हो गए। मजबूरी में उन्हें भी यह जुगाड़ तकनीक अपनाना पड़ा।
जेनरल डिब्बों में गेट से लेकर सीट के ईद-गिर्द तक जुगाड़ झूला सीट लटकते नजर आ रहे थे। इनकी संख्या एक-एक डिब्बे में पांच-छह थी।
ट्रेन में पांच जेनरल डिब्बे, सभी हाउसफुल
बास्को-पटना एक्सप्रेस ट्रेन में.पांच जेनरल डिब्बे थे। सभी हाउसफुल। इनके अलावा ट्रेन.में 11 स्लीपर कोच भी थे। पैसेंजरों ने साइड अपर सीट एवं बीच के अपर सीट के बीच बेड सीट का छोर बांधकर जुगाड़ झूला सीट बनाकर रखा था। बेडशीट की गांठ खुलने पर कभी भी हादसा हो सकता था। उसके नीचे फर्श पर बैठे पैंसेजर भी घायल हाे सकते थे। उनकी डिमांड थी कि लंबी दूरी की ट्रेनों में जेनरल डिब्बों की संख्या बढ़ाई जाए। बताते चलें कि बिहार के मजदूर, दिल्ली, मुंबई, गुजरात, पंजाब जैसे कई प्रदेशों में कमाने जाते हैं। उन्हें आने-जाने में परेशानी होती है।
शादी-विवाह को लेकर हाउसफुल चल रही ट्रेनें
दानापुर रेलवे स्टेशन के आरा रेलवे स्टेशन पर करीब 50 से अधिक एक्सप्रेस ट्रेनों का ठहराव है। शादी-विवाह के मौसम को लेकर लोग अपने-अपने घर आ रहे हैं। इसके चलते दिल्ली,मुंबई, पंजाब, गुजरात से बिहार आने वाली ट्रेनों में बर्थ हाउसफुल चल रहे हैं। ऐसी स्थिति में जेनरल डिब्बों में अच्छी-खासी भीड़ देखी जा रही है। सीट के अभाव में पैसेंजरो को खामियाजा भुगतान पड़ रहा है। आलम यह है कि स्लीपर बोगियों में वेटिंग डेढ़-दो सौ चल रहा है। श्रमजीवी, पूर्वा, संपूर्ण क्रांति, अमृतर- हावड़ा, सूरत- भागलपुर, बह्मपुत्र मेल एवं नार्थ-ईस्ट सहित कई ट्रेनों में बर्थ की हालत चिंताजनक है।