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प्रत्येक व्यक्ति का जीवन कर्म प्रधान

मारूतनंदन सेवा समिति के तत्वावधान में रमना मैदान के महावीर मंदिर परिसर में आयोजित नौ दिवसीय 40वां रामायण सम्मेलन एवं भागवत कथा के दूसरे दिन अयोध्या से पधारे राष्ट्रीय संत मधुरेश जी महाराज ने नवाह्न पाठ के माध्यम से श्रीराम जन्म पर विस्तार से प्रकाश डाला।

By JagranEdited By: Published: Sun, 18 Nov 2018 11:01 PM (IST)Updated: Sun, 18 Nov 2018 11:01 PM (IST)
प्रत्येक व्यक्ति का जीवन कर्म प्रधान
प्रत्येक व्यक्ति का जीवन कर्म प्रधान

आरा। मारूतनंदन सेवा समिति के तत्वावधान में रमना मैदान के महावीर मंदिर परिसर में आयोजित नौ दिवसीय 40वां रामायण सम्मेलन एवं भागवत कथा के दूसरे दिन अयोध्या से पधारे राष्ट्रीय संत मधुरेश जी महाराज ने नवाह्न पाठ के माध्यम से श्रीराम जन्म पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि भगवान का जन्म नहीं अवतार होता है। इसलिए भगवान जाति व धर्म से ऊपर होते हैं। इनका अवतार अधर्म का नाश व धर्म की स्थापना के लिए होता है। राष्ट्रीय संत मधुसुदन जी महाराज ने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति का जीवन कर्म प्रधान है। आपके कर्मों के माध्यम से ही आपके जीवन की रूपरेखा तैयार होता है। इसको छह भागों में बांटा गया है। उन्होंने कहा कि माया से मुक्ति का साधन ही भागवत है। संध्या वेला में ¨वध्याचल से पधारे राष्ट्रीय रामकथा वाचक कृष्णानंद जी महाराज ने कहा कि रामचरित मानस हिन्दी साहित्य की एक महान कृति माना जाता है। श्रीराम भक्तों के हृदय की अभिलाषा को स्वत: ही जान लेते हैं। इनके चरणों की वंदना ब्रह्मा, हरि और महेश तीनों करते हैं। कथा के पश्चात महाआरती हुई। मंच संचालन सुनील ¨सह ने किया। इस अवसर पर नवदुर्गा मंदिर के अध्यक्ष व समिति के संयोजक सरदार विरेन्द्र ¨सह, संजय राय, शशिभूषण मिश्रा, डॉ.सत्यनारायण उपाध्याय, राजकेश्वर ¨सह, कुदुम रंजन दूबे, बब्लू ¨सह, उर्मिला देवी, कमलेश कुंदन आदि मौजूद थे।

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