कर्मयोगी व पाठक का वर्षों से है अटूट रिश्ता
कर्मयोगी विभिन्न विकट परिस्थितियों में भी लोगों के दरवाजें पर दस्तक देकर अखबार देते है।
आरा। कर्मयोगी विभिन्न विकट परिस्थितियों में भी लोगों के दरवाजें पर दस्तक देकर अखबार देते है। कड़ाके की ठंड हो अथवा तेज मुसलाधार बारिश किसी की भी परवाह नहीं करते हुए वह आप तक अखबार पहुंचाता है। आज लोग कोरोना के भय से अपने-अपने घरों में कैद हैं। लेकिन ये अपनी जान पर खेलकर लोगों तक देश-विदेश की खबरों से अवगत कराने के लिए निरंतर अखबार पहुंचा रहे हैं। हमारे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कोरोना वायरस के भय के बीच जो लोग काम कर रहे हैं, उनकी हौसलाअफजाई के लिए तालियां, घंटी, शंख आदि बजाने की अपील की थी, जिसका लोगों ने पालन भी किया। दैनिक जागरण ने ऐसे ही कर्मयोगी का विचार हम प्रकाशित कर रहे हैं।
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फोटो फाइल
27 आरा 28
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कोरोना वायरस के संक्रमण काल में बहुत जरूरी है कि लोगों तक सही सूचनाएं पहुंचे। इसके लिए अखबार एक सशक्त माध्यम है। कई सोशल मीडिया पर फेक न्यूज चलाया जा रहा है कि अखबार लेने से कोरोना वायरस फैल रहा है। जबकि इस तरह की कोई बात नहीं है। क्या हमें अपने परिवार की चिता नहीं है। नीरज मिश्रा, आरा, कर्मयोगी
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27 आरा 25
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आज कोरोना से पूरा विश्व परेशान है। देश-विदेश में घट रही घटनाओं की जानकारी के लिए अखबार एक सशक्त माध्यम है। हम सब आपके पास देश- विदेश की विभिन्न घटनाओं की जानकारी के लिए आपके पास अखबार वर्षों से पहुंचा रहें हैं। इससे कोरोना का कोई खतरा नहीं है। भरत कुमार, आरा, कर्मयोगी
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27 आरा 26
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देश-विदेश की घटनाओं से संबंधित खबरें हम अखबार के माध्यम से लोगों के बीच पहुंचा रहे हैं। लोगों के बीच कोरोना को लेकर भय व्याप्त है। लोगों का भ्रम हो गया है कि अखबार से कोरोना फैल जाएगा। लेकिन ये लोगों की गलतफहमी है। ऐसी कोई बात नहीं। रविशंकर, आरा, कर्मयोगी
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27 आरा 27
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हम आज भी इस भय के माहौल में अपने पाठकों के साथ है और देश-विदेश की खबरों को पढ़ाने के लिए ²ढ़ संकल्पित हैं। अखबार पूरी तरह सैनिटाइज है। इसको लेने व पढ़ने से आपको कोरोना रोग नहीं होगा। अखबार में कोई वायरस नहीं है। सरवन कुमार, संदेश, कर्मयोगी