कौशल के अभाव से भारत की अर्थव्यवस्था प्रभावित : प्रो.रमन
भोजपुर । बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के प्रो. राकेश रमन ने कहा कि किसी भी देश की सफलता के
भोजपुर । बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के प्रो. राकेश रमन ने कहा कि किसी भी देश की सफलता के लिए पहले राष्ट्रीय संसाधनों का योगदान अहम माना जाता था, मगर आज राष्ट्रीय संसाधनों की उपेक्षा ज्ञान, कौशल एवं अन्वेषण का योगदान काफी बढ़ गया है। आज दुनिया के उंचे आर्थिक पायदान पर वही देश है, जहां पर श्रमिकों में कौशल निर्माण का प्रतिशत अधिक है। उन्होंने कहा कि साउथ कोरिया, इंग्लैड, जर्मनी, अमेरिका, जापान, चीन देश की तुलना में भारत में करीब-करीब दस प्रतिशत कार्यशील जनसंख्या ही कौशलयुक्त है, शेष 90 प्रतिशत कार्यशील जनसंख्या की उत्पादकता कम है। उक्त बातें श्री रमन में वीकेएसयू अर्थशास्त्र विभाग की ओर से आयोजित कौशल विकास के उभरते आयाम विषय पर पर दो दिवसीय सेमिनार में कहीं। उन्होंने कहा कि भारत में प्रतिवर्ष केवल 12 मिलिनयन नये श्रमिक श्रम बाजार में प्रवेश कर रहे है। जबकि अर्थव्यवस्था में कौशल निर्माण केवल चार मिलियन युवाओं को ही देने की क्षमता है। सभी नए युवाओं को कौशल युक्त करने के लिए संसाधनों एवं संरचनात्मक सुविधाओं की व्यवस्था देश के सामने एक बड़ी चुनौती है। दूसरे दिन के तकनीकी सत्र को संबोधित करते हुए ए.एन.सिन्हा इंस्टीच्यूट के डायरेक्टर प्रो.सुनील रे ने कहा कि पूंजीवादी व्यवस्था में जो पूंजी चाहता है, उसी तरह की संरचनात्मक सुविधाओं को उपलब्ध करना होता है। इस तरह के कौशल की जरुरत पूंजीपतियों के द्वारा की जाती है। उन्होंने शिक्षण के सैद्धांतिक पक्ष के साथ व्यावहारिक पक्ष पर अधिक जोर देने की बात कहीं। व्यावहारिक ज्ञान से सामूहिक सामयिक एवं स्थानीय समस्याओं का समाधान किया जा सकता है। इसके लिए उन्होंने दो सुझाव दिए। पहला गांव के पढ़े-लिखे युवा अपने आस-पास सर्वेक्षण करे कि किस प्रकार का कौशल या हुनर उपलब्ध है। एवं किस तरह के उद्योगों एव व्यवसायों को विकसित करने की संभावना अधिक है, उनको चिन्हित करने की जरुरत है, और इसके लिए कौशल विकास का प्रयास किया जाना चाहिए। दूसरा गांव के पढ़े लिखे युवा एक समूह का गठन करे और आपस में चंदाकर एक संचय निधि का निर्माण करे और अपने बलबूते पर व्यवसाय या उद्योग खड़ा करें। इसके लिए जो भी अपेक्षित कौशल होना चाहिए, उसकों प्राप्त करें। सरकारी बैंकों से पूंजी उपलब्ध करे एवं अपने लिए स्वरोजगार का निर्माण करें। अंतिम दिन के सत्र की अध्यक्षता प्रो.विश्वनाथ ¨सह ने की। संचालन प्रो.राघवेन्द्र प्रताप ¨सह ने और धन्यवाद ज्ञापन प्रो.सत्यनारायण ¨सह ने किया। इस मौके पर प्रो.डी.एम.दिवाकर, डा.अनवर इमाम, प्रो.दिनेश्वर प्रसाद, डा.चंचल पाण्डेय, प्रो.एम.पी.श्रीवास्तव, प्रो.रामाविनोद ¨सह समेत कई लोग उपस्थित थे।
------------------------
एनएसएस के स्वयंसेवकों ने महिलाओं को किया जागरूक
आरा: एचडी जैन कालेज की ओर से आयोजित सात दिवसीय आवासीय शिविर में भाग लेने वाले स्वयंसेवकों ने शुक्रवार को अनाइठ मिल्की मुसहरी में नारी सशक्तीकरण पर लोगों को जागरुक किया। कार्यक्रम पदाधिकारी डा.दूधनाथ चौधरी ने बाल विवाह, नशामुक्ति, दहेज प्रथा, शिशु मृत्यु जन्म दर, बाल शिक्षा, स्वस्थता, रहन-सहन से होने वाले दुस्प्रभावों से अवगत कराए। इस मौके पर जसीम, धीरज, शालिनी, सावित्री, बब्ली, पंकज रवि, अशोक, सनोज, ज्योति, रमेश, जितेन्द्र, भरत, हरेराम समेत कई लोग उपस्थित थे। वही दूसरी ओर महाराजा कालेज राष्ट्रीय सेवा योजना की ओर से आयोजित विशेष शिविर के दूसरे दिन स्वयंसेवकों ने शराबबंदी को लेकर एक रैली निकाली। रैली को राष्ट्रीय सेवा योजना के वीकेएसयू के समन्वयक डा.प्रसुंजय कुमार सिन्हा ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। रैली शहर के विभिन्न चौक-चौराहों से होते हुए महाविद्यालय परिसर में पहुंचकर समाप्त हो गया। इस मौके पर प्राचार्य डा.राजेन्द्र प्रसाद ¨सह, कार्यक्रम पदाधिकारी डा.विकास चंद्रा, अमित कुमार, नंदिता, सौम्या, फरजाना, डा.सोनी, आशीष व हरे कृष्ण हरी समेत कई लोग उपस्थित थे।
------------------------
भोजपुरी के टापर को सम्मानित किए जाने पर संशय
आरा: राजभवन के एक पत्र से वीकेएसयू के पीजी भोजपुरी विभाग के टापर व शोध करने वाले छात्र-छात्राओं को 5 अप्रैल को होने वाले दीक्षांत समारोह में सम्मानित किए जाने पर संशय बरकरार हो गया है। 28 मार्च को रजिस्ट्रार को राजभवन कार्यालय की ओर से भेजे गए पत्र में कहा गया है कि पीजी भोजपुरी विभाग को न तो राजभवन से मान्यता है, और न ही सरकार से। ऐसे में पीजी भोजपुरी के छात्र-छात्राओं को दीक्षांत समारोह से वंचित रखा जाए। इस बाबत कुलपति डा.लीलाचंद साहा ने कहा कि राज्यपाल कार्यालय से प्राप्त पत्र के बारे में राजभवन से बातचीत की जा रही है। जैसा दिशा-निर्देश मिलेगा, वैसा किया जाएगा।