कुपोषित बच्चों की पहचान कर कराया जाएगा इलाज
पोषण माह अभियान अंर्तगत अतिगंभीर कुपोषित बच्चों की पहचान कर जिला स्वास्थ्य समिति द्वारा हरसंभव इलाज कराया जाएगा।
आरा। पोषण माह अभियान अंर्तगत अतिगंभीर कुपोषित बच्चों की पहचान कर जिला स्वास्थ्य समिति द्वारा हरसंभव इलाज कराया जाएगा। पूरे सितंबर तक अभियान चलेगा। समिति के कार्यपालक निदेशक ने बताया कि अभियान के दौरान अतिगंभीर कुपोषित बच्चों की पहचान, रेफरल एवं प्रबंधन, स्तनपान को बढ़ावा, गृह आधारित नवजात की देखभाल, सघन दस्त नियंत्रण पखवारा, राष्ट्रीय कृमि मुक्ति कार्यक्रम, विटामिन ए खुराक अभियान, आइएफए अनुपूरण, टीकाकरण व ग्रामीण स्वास्थ्य, स्वच्छता एवं पोषण दिवस आदि को सफल बनाने का प्रयास किया जाएगा।
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अतिगंभीर कुपोषित बच्चों के लक्षण के आधार पर होगा इलाज :
पोषण अभियान के तहत अतिगंभीर कुपोषित बच्चों की पहचान करनी है। आशा व आंगनबाड़ी कार्यकर्ता उम्र की तुलना में बहुत कम वजन वाले बच्चों की सूची तैयार करेंगी। सूची के अनुसार उन्हें बेहतर इलाज के लिए स्वास्थ्य केन्द्र अथवा पोषण पुर्नवास केंद्र में भेजा जाएगा। जो बच्चें बीमार, सुस्त, स्तनपान नहीं करने या भूख की कमी, दोनों पैर में सूजन, सांस का तेज चलना, छाती का धंसना, लगातार उल्टी-दस्त, मिर्गी, चमकी आना, तेज बुखार, शरीर ठंडा रहना, खून की कमी, त्वचा पर घाव और ऊपरी बांह की गोलाई 11.5 सेंटीमीटर से कम के बच्चों को तुरंत सूचीबद्ध कर स्वास्थ्य केंद्र अथवा पोषण पुर्नवास केंद्र रेफर कर इलाज मुहैया कराना है। पीड़ित बच्चों के अभिभावकों को नियमित आयरन और फॉलिक एसिड की गोली, छमाही विटामिन ए सीरप एवं अल्बेंडाजोल टैबलेट की खुराक पर परामर्श देना होगा।
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अन्य अभियान पर भी रहेगा फोकस :
स्तनपान को बढ़ावा देने के लिए स्वास्थ्यकर्मी व आशा संस्थाओं के स्तर पर सभी नवजात को जन्म के एक घंटे के अंदर स्तनपान को शुरू कराने के लिए सुनिश्चित करना होगा। गर्भवती महिलाओं व धात्री महिलाओं से शिशु के दो साल तक नियमित स्तनपान व छह माह के बाद अनुपूरक आहार के लाभ पर विशेष परामर्श देना है। गृह भ्रमण कर शिशु एवं माता की जांच होगी। इसके अलावा सघन दस्त पखवारा, कृमि मुक्ति कार्यक्रम, विटामिन ए की खुराक, नियमित टीकाकरण आदि कार्यक्रम पर बल दिया जाएगा।