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फूलों से रंग बना कर होली को बनाया यादगार

वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय का एचडी जैन कॉलेज शनिवार को अद्भुत होली मिलन के रंग का गवाह बना।

By JagranEdited By: Published: Sat, 07 Mar 2020 11:21 PM (IST)Updated: Sun, 08 Mar 2020 06:18 AM (IST)
फूलों से रंग बना कर होली को बनाया यादगार
फूलों से रंग बना कर होली को बनाया यादगार

आरा। वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय का एचडी जैन कॉलेज शनिवार को अद्भुत होली मिलन के रंग का गवाह बना। प्राकृति के साथ अनमोल तालमेल बनाकर विश्वविद्यालय को सतरंगी इंद्रधनुष में रंग दिया। मिठाई से मुंह मीठा कराया गया और एक दूसरे को मुबारकवाद दी गई। पूरा परिसर होली के उल्लास, उमंग और तरंग से भर गया। इसमें लेस मात्र की भी बाजारूपन का भाव नहीं था। शहरी लाइफ स्टाइल का नमोनिशान तक नहीं। सभी ने प्राकृति से अनमोल रिश्ते बनाएं। कॉलेज की छात्राएं एवं छात्रों ने फूलों से रंग एवं खुशबू से कॉलेज के समूचे आंगन में सुगंध फैला दिया। होली के इंद्रधनुषी रंग में न केवल एचडी जैन कॉलेज के प्राचार्य डॉ. शैलेन्द्र कुमार ओझा रंगे, बल्कि इसकी सुगंध से कुलपति प्रो देवी प्रसाद तिवारी भी समोहित हुए। मोहल्ले के मंदिर से देव-देवियों को चढ़ाए हुए फूल यूं ही बेकार नहीं हो, उनकी रंगों को जिदा रखा जाए इसे लेकर जंतु विभाग की प्रो अंजली गुप्ता के साथ स्नातकोत्तर सेमेस्टर सेकेंड के विद्यार्थियों ने एक खास योजना बनाई। इसमें 10 छात्र-छात्राओं का दम ने काफी रंग लाया। पायल सिंह, अनामिका सिंह, श्रेया कात्यानी, गौतम कुमार, रविशंकर, अभिषेक राज, रजनीश, धीरज, हरीश और निखिल ने योजना को मूर्त रूप देने में जबर्दस्त कमाल किया। एनएसस के हरीश और निखिल ने पुलिस लाइन के मंदिर से फूल लाए, जो अक्सर बाहर कुड़ेदान में डाल दिया जाता है। छात्र-छात्राओं ने गेंदा और गुलाब के लाल फूलों से लाल रंग निचोड़कर निकाल ली। उसमें हल्की हल्दी और नींबू का रस डालकार चटक लाल बना दिया। पालक और नीम के पत्ते का पेस्ट बनाकर उसमे आरारोट मिलाकर सुखाया और उसे पीसकर हरा रंग बना दिया। पीला रंग के लिए गेंदा फूल के रस को निकाल दिया। हमारी होली में केमिकल वाले रंग खलल डाले नहीं। इसीलिए होली पर प्राकृतिक रंगों से मिठास घोलने की पहल कॉलेज के जंतु विज्ञान के विद्यार्थियों ने की। इन लोगों ने न सिर्फ प्राकृतिक रंग बनाया, बल्कि उसको बनाने की विधि दूसरे विभाग के मित्रों को भी बताया। सभी शिक्षकों को प्राकृतिक रंगों की पोटली को होली का तोहफा दिया। इसने हर्बल नहीं बल्कि प्रेम और संवेदनाओं का रस दिया। उमंग एवं तरंग भरी याद दी। जिसे डॉ. तब्बसुम बानो, डॉ. मोहम्मद मसूद, डॉ. नजीर अख्तर, डॉ. पूर्ति माहौर भी स्पंदित हुए बिना नहीं रह सकीं। डॉ. पूर्ति माहौर की रंगीन दुनिया होली के रंग में जगमग हो उठी। डॉ. अरविद कुमार सिंह, डॉ. जीएन त्रिपाठी और डॉ. जितेन्द्र कु़मार सिंह को गुरु-शिष्य के प्रेम रंग में सरोबार हो गए।

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