छायावाद परंपरा के प्रमुख कवि थे निराला :जगदयाल
वरिष्ठ नागरिक कल्याण संघ के तत्वावधान में मौलाबाग स्थित संघ कार्यालय में महाकवि सूर्यकांत त्रिपाठी निराला की पुण्यतिथि मनाई गई।
आरा। वरिष्ठ नागरिक कल्याण संघ के तत्वावधान में मौलाबाग स्थित संघ कार्यालय में महाकवि सूर्यकांत त्रिपाठी निराला की पुण्यतिथि मनाई गई। अध्यक्षता संघ के अध्यक्ष एके आंसू ने की। अनील कुमार सिन्हा, मोहन प्रसाद और विश्वनाथ लाल ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का उद्घाटन किया। एके आंसू ने कहा कि निराला छायावादी परंपरा के अग्रगण्य व मूर्धन्य कवि थे। छायावाद, रहस्यवाद व प्रगतिवाद तीनों का सामंजस्य निराला के काव्य में है। निराला ने हिदी काव्य जगत में मुक्त छंद के साथ एक विद्रोही तेवर लेकर प्रवेश किया। उन्होंने छायावाद की सीमाओं को अतिक्रमण कर कविता को आम आदमी के आसपास पहुंचाया। उनकी पीड़ा के रूप में भिक्षुक, तोड़ती पत्थर व दीन इत्यादि कुछ इस तरह की कविताएं हैं। जगदयाल सिंह ने कहा कि निराला छायावाद के प्रमुख कवि होने के बाद भी वह प्रसाद, पंत व महादेवी वर्मा से भिन्न थे। निराला के काव्य में पौरूष है। इस मौके पर बैजनाथ कुमार सिन्हा, शुकदेव शर्मा, जयकृष्ण सिंह ने भी विचार व्यक्त किया। अतिथियों का स्वागत कन्हैया प्रसाद, संचालन उमाशंकर तिवारी और धन्यवाद ज्ञापन लक्ष्मण प्रसाद ने किया। मौके पर रामेश्वर प्रसाद, कृष्णा प्रसाद व अन्य लोग उपस्थित थे।