कुंवर सिंह के नाम को चरितार्थ करे विश्वविद्यालय: राज्यपाल
आधुनिक युग पर आधारित शिक्षा को अपनाकर हीं राष्ट्र के विकास की कल्पना की जा सकती है। ऐसी हीं शिक्षा देश की प्रगति में सहायक हो सकता है। उक्त बातें राज्यपाल सह कुलाधिपति फागू चौहान ने वीर कुंवर सिंह विश्व विद्यालय के जीरो माइल स्थित न्यू परिसर में मंगलवार को आयोजित स्थापना दिवस समारोह में कही। उन्होंने कहा कि वीर कुंवर सिंह की वीरता हम सबके लिए प्रेरणा स्त्रोत है। उन्होंने 1
जागरण संवाददाता, आरा: वीर कुंवर सिंह प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के महानायक थे। जिनके साम्राज्य का सूर्य कभी अस्त नहीं होता था उसको भी वीर कुंवर सिंह ने धूल चटा दिए थे। एक सप्ताह तक आरा में आमजन के सहयोग से क्रांतिकारी सरकार का गठन किया था। 80 वर्ष के योद्धा ने भोजपुर से लखनऊ तक आठ माह तक आंदोलित कर दिया था। उनकी स्मृतियों से रची-बसी इस धरती पर वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय की स्थापना की गई है। उनके नाम पर बने विश्वविद्यालय के शिक्षकों, विद्यार्थियों व शिक्षकेत्तर कर्मियों को यह संकल्प लेना चाहिए कि उनके कीर्तिमानों के अनुरूप विश्वविद्यालय के नाम को चरितार्थ करें। उक्त बातें जीरो माइल स्थित नूतन परिसर में राज्यपाल फागू चौहान ने कहीं। श्री चौहान मंगलवार को वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय के 28वां स्थापना समारोह का उद्घाटन करने के बाद उपस्थित लोगों को संबोधित कर रहे थे। इसके पूर्व राज्यपाल, कुलपति प्रो. देवी प्रसाद तिवारी, राज्यपाल के अपर मुख्य सचिव ब्रजेश मेहरोत्रा, बिहार राज्य विश्वविद्यालय शिक्षक संघ के कार्यकारी अध्यक्ष प्रो. कन्हैया बहादुर सिन्हा, प्रति उपकुलपति डॉ. एनके साह, प्रो. देवदत राय व कुलसचिव कर्नल श्यामानंद झा ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलित कर समारोह का उद्घाटन किया। विश्वविद्यालय का स्थापना समारोह उत्सवी माहौल में मनाया गया। कार्यक्रम की शुरूआत कुलगीत व सरस्वती वंदना से की गई। राज्यपाल चौहान ने वीर कुंवर सिंह की प्रतिमा पर मल्यार्पण कर कार्यक्रम का औपचारिक उद्घाटन किया। इस मौके पर राज्यपाल समेत सभी अतिथियों कों मेमोंटो देकर सम्मानित किया गया। इसके पूर्व हेलीपैड पर राज्यपाल को सलामी दी गई और डीएम रोशन कुशवाहा व एसपी सुशील कुमार ने बुके देकर उनका स्वागत किया। राज्यपाल चौहान अपने 10 मिनट के संक्षिप्त भाषण में स्थापना दिवस की चुनौतियों का जिक्र किया। उन्होंने गुणवक्ता पूर्ण शिक्षा पर बल दिया। उन्होंने शिक्षा की चुनौतियों को समझने और उनके मुकाबले वाजिब तैयारी करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि इतिहास गौरव के साथ-साथ आत्म मूल्यांकन का अवसर देता है। डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के कथन को उद्घृत करते हुए उन्होंने कहा कि युवाओं में विकसित किया जा रहा चरित्र ही किसी राष्ट्र के जीवन व मृत्यु का वास्तविक रूप निर्धारण करता है। चरित्र निर्माण का कार्य विश्वविद्यालय को ही करना है। उन्होंने कहा कि सभी विश्वविद्यालयों को केंद्र व राज्य सरकार से आधारभूत संरचना के विकास के लिए मदद दी जा रही है। उच्च शिखा का एजेंडा भी निर्धारित हो चुका है। छात्रहित में सभी को मिलकर इस दिशा में काम करने की जरूरत है। इस मौके पर कुलपति प्रो. देवी प्रसाद तिवारी ने विश्वविद्यालय की गतिविधियों व कार्यक्रमों पर विस्तार से प्रकाश डाला। अमेरिका से आए डॉ. देवदत राय ने विश्वविद्यालय को हर संभव शैक्षिक मदद करने का आश्वासन दिया। मंच का संचालन कुलसचिव कर्नल श्यामानंद झा व धन्यवाद ज्ञापन प्रति उप कुलपति डॉ. नंद किशोर साह ने किया। इस मौके पर परीक्षा नियंत्रक डॉ. लतिका वर्मा, डॉ. शैलेन्द्र कुमार ओझा, प्राचार्य डॉ. जवाहर लाल, प्राचार्य डॉ. आभा सिंह, प्राचार्य डॉ. गुरुचरण सिंह, डॉ. सत्यनारायण सिंह, डॉ. दिवाकर पांडेय, डॉ. अनुज रजक, डॉ. नारद सिंह के अलावा काफी संख्या में सिडिकेट, सीनेट के सदस्य, संकाय व विभागाध्यक्ष, शिक्षकेत्तर कर्मचारी, छात्र-छात्राएं उपस्थित थे। इस मौके पर बक्शी विकास के निर्देशन में वीर कुंवर सिंह पर आधारित नाटक का मंचन किया गया।
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शिक्षा कोचिग संस्थान में और दीक्षा समारोह विश्वविद्यालय में : सिन्हा
जागरण संवाददाता, आरा: यह कैसी विडंबना है कि छात्र शिक्षा को कोचिग संस्थान में ले रहे हैं और दीक्षा समारोह विश्वविद्यालय में आयोजित किया जा रहा है। यह कहना है भाकुटा के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ. कन्हैया बहादुर सिन्हा का। मंगलवार को डॉ. सिन्हा वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय के स्थापना समारोह में बतौर मुख्य अतिथि अपना विचार व्यक्त कर रहे थे। उन्होंने कहा कि आधुनिक भारत में 70 प्रतिशत यंग हैं। विगत 25 वर्षों से शिक्षा में गुणवक्ता नहीं बढ़ रही है। स्नातकोत्तर व इंजीनियरिग की डिग्री के बाद भी 57 प्रतिशत युवक बेरोजगार रह जाते हैं। ग्लोबल प्रतियोगिता के लिए हमें गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देना होगा। राष्ट्र के विकास के लिए सकारात्मक ऊर्जावान शिक्षा देना होगा। परीक्षा को मई-जून तक आयोजित करके नये सत्र की शुरूआत करने होगी। किसी भी सूरत मे 15 जुलाई तक नये सत्र की शुरूआत करने पर उन्होंने बल दिया।