Gandhi Jayanti 2024: ट्रेन से आरा आए थे महात्मा गांधी, भोजपुर की स्मृतियों में बसे हैं बापू; पढ़िए दिलचस्प कहानी
Ara News महात्मा गांधी का भोजपुर से विशेष जुड़ाव था। उन्होंने शाहाबाद में चार बार आकर गुलामी के खिलाफ शांतिपूर्ण प्रतिकार की अलख जगाई। गांधी जी ने आरा में कई सभाओं को संबोधित किया और आपसी एकता खादी चरखा स्वदेशी प्रचार पर बल दिया। उनकी यात्राओं के दौरान कई स्थानों पर उन्हें याद किया जाता है जिनमें बाल हिंदी पुस्तकालय और जैन बाला विश्राम शामिल हैं।
कंचन किशोर,आरा। Ara News: महात्मा गांधी का भोजपुर से खास जुड़ाव था। सत्य और अहिंसा के रास्ते पूरी दुनिया को नई दिशा दिखाने वाले गांधी जी शाहाबाद में अपने जीवनकाल में चार बार आए और गुलामी के खिलाफ शांतिपूर्ण प्रतिकार की अलख जगाई। चार सितंबर 1920 को असहयोग आंदोलन को धार देने के लिए महात्मा गांधी पहली बार पटना से पैसेंजर ट्रेन से आरा आए थे।
इनके साथ अन्य नेताओं में शौकत अली, मौलाना अब्दुल कलाम आजाद, स्वामी सत्यदेव भी थे। आयोजन को सफल बनाने में शाहाबाद जिला कमेटी शाहाबाद जिला कांग्रेस कमेटी के तत्कालीन अध्यक्ष विंध्यवासिनी सहाय, चौधरी करामत हुसैन, मंडीला दास, मुनमुन हलवाई उर्फ नंदा गुप्ता, डा. कैप्टन अरुन्जय सहाय वर्मा आदि की सराहनीय भूमिका रही। इसी दिन पंजाब मेल से गांधीजी पटना वापस चले गए थे।
1982 में फिल्मकार रिचर्ड एटनबारो की आस्कर अवार्डी फिल्म ''गांधी'' में उनकी इस यात्रा को दिखाया गया है, जब कोईलवर पुल के पास ट्रेन के रुकने के दौरान सोन नद में तंग और फटे पोशाक पहन कपड़ा धो रही महिला को उन्होंने अपना उजले रंग का गमछा नदी में बहा दिया था, जो पानी मे बहते हुए महिला के पास पहुंचा था। उनकी कई निशानियां आज भी आरा में जीवंत हैं। उनके आगमन व बिताए समय नई पीढ़ी के लिए भी प्रेरक प्रसंग के रूप में उन्हें सुनाई जाती है।
दूसरी आर बाल हिन्दी पुस्तकालय में हुआ आगमन
वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय से सेवानिवृत्त प्रो.बलराज ठाकुर बताते हैं कि 28 जनवरी 1927 को महात्मा गांधी का कस्तूरबा गांधी, देवदास गांधी कृष्णा दास, डा. राजेंद्र प्रसाद के अलावा अन्य नेताओं के साथ आरा आगमन हुआ। इस दौरान विभिन्न सभा को संबोधित करते हुए गांधी जी ने आपसी एकता, खादी, चरखा, स्वदेशी प्रचार जैसे कार्यक्रमों को बढ़ावा देने पर बल दिया।
इसी दिन स्वतंत्रता संग्राम में अग्रणी भूमिका निभाने वाला बाल हिंदी पुस्तकालय में भी गांधी जी पहुंचे थे। इस अवसर पर चर्चित स्वतंत्रता सेनानी सीआर दास ने पुस्तकालय के विकास के लिए एक हजार रुपए दिये थे। इस राशि से एक कक्ष का निर्माण कराया गया था। इसका उद्घाटन गांधी जी ने किया था। इसके बाद जैन बाला विश्राम में भी गांधी जी पहुंचे थे।
जमीरा गांव और रमना मैदान में भी आए थे गांधी जी
महात्मा गांधी पुन: 25 अप्रैल 1934 को आरा आए थे। इनके साथ डा. राजेंद्र प्रसाद, ठक्कर बाबा, काका कालेकर जेपी की पत्नी प्रभावती देवी समेत अन्य लोग थे। तत्कालीन विधान पार्षद बाबू राधा मोहन सिंह के निमंत्रण पर गांधी जी उनके गांव जमीरा पहुंचे। वहां एक मंदिर में लोगों को संबोधित किया। तत्पश्चात स्थानीय रमना मैदान में एक सभा में शामिल हुए थे।
गांधी जी के साक्षत दर्शन से जीवन सफल हो गया- राम दयाल पाण्डेय
उदवंंतनगर गांव निवासी 102 वर्षीय राम दयाल पाण्डेय उन लोगों में हैं, जिन्होंने साक्षात गांधी जी को देखा और सुना है। कहते हैं, देश में भारत छोड़ो आंदोलन का वातावरण तैयार हो रहा था। इसी क्रम में सन् 1941 में गांधी जी आरा आए थे।
उन्होंने आरा के गौसगंज स्थित गोलक्षणी से अंग्रेजी सत्ता को उखाड़ फेंकने की बात कही थी। रामदयाल पांण्डेय कहते हैं कि हर कोई गांधी जी को देखने और सुनने के लिए उनके करीब पहुंचना चाहता था। उस समय मैं किशोरावस्था में था।
अपने एक साथी के साथ पैदल गांधी जी को देखने आरा गए थे, उनके व्यक्तित्व में तेज झलक रहा था। वे कहते हैं, आज भी गांधी का संबोधन उन्हें कंठस्थ है। और खुद को शाभग्यशाली मानते हैं कि गांधी जी का उन्होंने साक्षत दर्शन किया।