जेएनयू छात्रसंघ की पूर्व महासचिव चिंटू के समर्थन में धरना
भोजपुर । जेएनयू छात्रसंघ की पूर्व महासचिव चिंटू कुमारी के गाव कौलोडिहरी के कई ग्रामीणों
भोजपुर । जेएनयू छात्रसंघ की पूर्व महासचिव चिंटू कुमारी के गाव कौलोडिहरी के कई ग्रामीणों ने सोमवार को भोजपुर जिला समाहरणालय के समक्ष धरना दिया और जिलाधिकारी के माध्यम से भारत के राष्ट्रपति को एक माग-पत्र भेजा। ग्रामीणों ने माग की है कि चिंटू कुमारी और उनके साथियों पर राजनैतिक पूर्वाग्रह के तहत जेएनयू प्रशासन द्वारा लगाए गए फर्जी इल्जाम और अन्यायपूर्ण फैसले को अविलंब वापस लिया जाए, दलित-वंचित और गरीब-मेहनतकश वर्ग के प्रतिभावान बच्चों का उत्पीड़न और दमन तत्काल बंद किया जाए और इसके लिए राष्ट्रपति अविलंब हस्तक्षेप करें। ज्ञात हो कि वे अपने साथियों के साथ पिछले ग्यारह दिनों से आमरण अनशन पर बैठी हुई हैं। माग-पत्र पर लगभग 60 लोगों के हस्ताक्षर हैं, जिनमें महिलाएं और युवा भी शामिल हैं।
धरना को संबोधित करते हुए उनके पिता रामलखन राम ने कहा कि उन्हें और उनके गाववासियों को उनकी बेटी चिंटू कुमारी की उपलब्धियों पर गर्व है। उसने कोई गुनाह नहीं किया है, बल्कि लगन से अपनी पढ़ाई करने के साथ-साथ छात्रों के अधिकारों और गरीब-दलित-वंचित जनता के हक-अधिकार के लिए लड़ती रही है। ग्रामीणों के इस धरना का कई साहित्यकार-संस्कृतिकर्मियों ने भी समर्थन किया था। उनके साथ एकजुटता जाहिर करने जसम के राष्ट्रीय सहसचिव कवि-आलोचक जितेंद्र कुमार, राष्ट्रीय पार्षद कवि सुनील चौधरी, युवा समाजसेवी विजय मेहता, युवा बुद्धिजीवी आशुतोष कुमार पाडेय, शिक्षक हरिनाथ राम और जनमत के संपादक सुधीर सुमन धरना स्थल पर पहुंचे। धरना को संबोधित करते हुए सुनील चौधरी ने कहा कि चिंटू छात्रों के बीच बेहद लोकप्रिय रही हैं। महासचिव चुने जाने से पहले उन्होंने दो बार काउंसिलर और एक बार कन्वेनर का चुनाव भी जीता था। सुधीर सुमन ने कहा कि चिंटू कुमारी और उनके साथी जेएनयू की उच्च स्तरीय जाच समिति के अन्यायपूर्ण फैसले के खिलाफ पिछले ग्यारह दिन से आमरण अनशन पर बैठे हैं। उनका स्वास्थ्य लगातार बिगड़ता जा रहा है। कुलपति की संवेदनहीनता की पराकाष्ठा यह है कि उन्होंने उनकी माग मानने के बजाए आमरण अनशन को 'गैरकानूनी' करार दिया है।