ऋषि-मुनियों का दिया श्राप भी कभी बन जाता कल्याणकारी : जीयर स्वामी
पैगा में प्रवचन करते हुए श्री लक्ष्मी प्रपन्न जीयर स्वामी जी महाराज ने कहा कि कभी-कभी ऋषि-मुनियों द्वारा दिया गया श्राप भी कल्याणकारी बन जाता है
आरा। पैगा में प्रवचन करते हुए श्री लक्ष्मी प्रपन्न जीयर स्वामी जी महाराज ने कहा कि कभी-कभी ऋषि-मुनियों द्वारा दिया गया श्राप भी कल्याणकारी बन जाता है। अगर वह श्राप भगवान से मिला दे तो कल्याणकारी बन जाता है। अगर भगवान से भी विमुख करा दे तो विनाशकारी बन जाता है। प्राणायाम के बारे में समझाते हुए स्वामी जी ने कहा कि जिस प्रकार मशीन के विभिन्न पार्ट्स होते हैं, उसी प्रकार शरीर के भी पार्ट्स होते हैं। जिसको प्राणायाम के तहत स्वस्थ किया जा सकता है। उन्होंने विस्तारपूर्वक प्राणायाम के तरीकों को समझाते हुए कुंभक, रेचक, पूरक आदि के बारे में विस्तृत जानकारी दिया। उन्होंने कहा कि आत्मा को निष्काम रूप से सबको अपना परमात्मा मानकर उसमें मन को स्थिर करें तो मन और चित्त को शांति मिलेगी। भगवान कृष्ण स्वयं परमात्मा है उनके भजन से मन को शांति मिलती है। उन्होंने कहा कि योग बुद्धि को शुद्ध कर परमात्मा में स्थित कराती है। उन्होंने कहा कि महापुरुषों की बातों को अपने जीवन में उतारने का प्रयास करना चाहिए। वेद पुराण ऋषि मुनि के बताए हुए मार्ग पर चलने का प्रयास करना चाहिए। इससे मन और चित्त को शांति मिलती है। विकट परिस्थितियों में भी धर्म का पालन करते रहना चाहिए। जहां पर जिस घर में संत महात्मा वेद पुराण का सम्मान नहीं होता वह घर श्मशान बन जाता है।
स्वामी जी ने भागवत, ज्ञान व मुक्ति प्राप्ति के उपायों को बताते हुए कहा कि सबसे पहले जानना पड़ेगा कि हमारा शरीर व आत्मा सब कुछ नहीं है। बंधन व मोक्ष किसका होगा, इसको भी मानना चाहिये। क्योंकि शरीर व आत्मा का बंधन और मोक्ष नहीं होता है।