16 वर्षों से प्रमोशन के लिए तरस रहे अश्वारोही
अश्वारोही सैन्य पुलिस अपने जिन आधे दर्जन खिलाड़ियों के शौर्य व पराक्रम की गाथा सुनाते नहीं थकते वे मेडलिस्ट खिलाडी़ आज प्रमोशन के लिए तरस रहे हैं।
आरा। अश्वारोही सैन्य पुलिस अपने जिन आधे दर्जन खिलाड़ियों के शौर्य व पराक्रम की गाथा सुनाते नहीं थकते, वे मेडलिस्ट खिलाडी़ आज प्रमोशन के लिए तरस रहे हैं। विभाग की चाहे जो लाचारी या उदासीनता हो, लेकिन ये प्रतिभावान खिलाडी़ एक प्रमोशन के लिए तरस रहे है। इन खिलाड़ियों को पिछले 16 वर्षों से विभाग से प्रोन्नति नहीं मिली है। दूसरे राज्यों के जूनियर खिलाड़ी प्रमोशन पाकर सीनियर बन गए हैं। परंतु बिहार अश्वारोही सैन्य बल के ये पदक विजेता खिलाडी़ अपनी सेवा में जहां थे आज भी वहीं हैं। इन्हें एक बार नहीं बल्कि एक-एक खिलाडी़ के नाम से दर्जनों राष्ट्रीय पदक का खिताब दर्ज है।
दूसरे राज्यों में प्रमोशन का मामला ऐसा है कि इन खिलाड़ियों के जूनियर खिलाडी़ सिपाही से दारोगा तक प्रमोशन पाकर पहुंच गए। भोजपुर अश्वारोही के खिलाडी़ सिपाही के पद से आगे नहीं बढ़ सके। प्रमोशन का आश्वासन तो जरूर मिला, लेकिन आश्वासन प्रमोशन में नहीं बदला। केवल कागजी कोरा आश्वासन बनकर रह गया।
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इन खिलाड़ियों ने विभाग का गौरव से चौड़ा किया है सीना
-- मनोज कुमार सिंह
-- शाहनवाज खान
-- रॉकी कुमार सिंह
-- त्रिलोकी प्रसाद
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कई खिलाड़ी हो गए रिटायर्ड पर नहीं मिला प्रोमोशन
आरा: बिहार अश्वारोही सैन्य बल भोजपुर के कई राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी प्रमोशन का इंतजार करते-करते रिटायर्ड हो गए। परंतु विभाग से उन्हें मेडल के आधार पर प्रमोशन नहीं मिला। अवकाश प्राप्त उन खिलाड़ियों को इस बात का आज भी मलाल है।
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वर्जन
राष्ट्रीय स्तर पर पदक प्राप्त खिलाड़ियों को विभागीय प्रावधान के अनुसार प्रमोशन मिलना चाहिए। यहां के खिलाड़ियों को एक लंबे समय से प्रमोशन नहीं मिला है। इस मामले में विभागीय स्तर पर कार्रवाई चल रही है। राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धाओं में खिलाड़ियों ने बिहार को मान-सम्मान के साथ गौरव दिलाया है। निश्चित रूप से वे पदक प्रोन्नति के हकदार हैं। इसके लिए उच्चाधिकारियों से बात की जाएगी।
सुशील कुमार
समादेष्टा सह पुलिस अधीक्षक, भोजपुर।