प्रशासनिक निष्क्रियता के कारण नहीं होता नियमों का पालन
भोजपुर । पानी को संरक्षित करने के लिए आरा शहर के प्रत्येक नवनिर्मित भवनों में रेन वाटर ह
भोजपुर । पानी को संरक्षित करने के लिए आरा शहर के प्रत्येक नवनिर्मित भवनों में रेन वाटर हारवेस्टिंग का प्रावधान है। मगर प्रशासनिक निष्क्रियता के चलते वर्षा जल संचयन के लिए बनाए नगरीय सीमा में किसी भी भवन निर्माण की स्वीकृति देते समय इन मानकों का ध्यान नहीं रखा जाता है। मानकों की धज्जियां खुलेआम उड़ाई जाती हैं। नियम-कायदे का पालन नहीं करने वालों के खिलाफ नगर निगम प्रशासन की ओर से अभी तक किसी भी व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई नहीं की गई है। पर्यावरणविदों की मानें तो शहर में जल संचयन योजना को लागू करना अनिवार्य है, तभी हम प्रति वर्ष बर्बाद हो रहे वर्षा के 190.74 लीटर गैलेन पानी को संरक्षित कर सकते है।
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बढ़ती आबादी ने खाली पड़े परती जमीन को लील लिया :
जल संचयन योजना शासन-प्रशासन की लापरवाही का शिकार हो गयी है। यही वजह है कि बढ़ती आबादी ने सौ साल पहले खाली पड़े परती जमीन, आहर, पोखर को लील लिया है। शहरों के कालोनियों में खाली पड़े जमीन और आहर-पोखर का अस्तित्व अब समाप्त होते जा रहा है। शहर के अधिकांश मुहल्लों में खाली पड़ी जमीन और तालाब को पाटकर कंक्रीट के मकान खड़ा किए जा रहे हैं। जिसे देखकर पहली नजर में ही लगता है कि मानो यहां कोई लूट मची हो। नियमों को ताक पर रखकर बड़ी इमारतों के बनने का सिलसिला जारी है। इसका खमियाजा यहां का आम आदमी भुगत रहा है। वह आदमी जो कभी खुले मैदान के लिए तरसता नहीं था। आज ताजी हवा लेने के लिए बेबस व लाचार है।
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क्या कहते हैं नगर आयुक्त
फोटो फाइल 07 आरा 6
नगर आयुक्त प्रमोद कुमार कहते हैं कि शहर में हर नवनिर्मित भवन बनाने का नक्शा पास कराने के दौरान रैन वाटर हारवेस्टिंग का प्राधवान बायलाज में किया गया है। तभी शहर में नये भवन का नक्शा पास होता है। मगर जमीनी हकीकत कुछ और है। भवन बनाने में जो लोग जल संचयन योजना का प्रावधान करते हैं, उन्हें नगर निगम छूट प्रदान करती है। यह छूट होल्डिंग टैक्स से लेकर कई तरह की है।
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कर्मचारियों की कमी से नहीं होती है जांच : महापौर
शहर में नवनिर्मित भवन का नक्शा पास तभी होता है, जब उसमें रैन वाटर हारवेस्टिंग का प्रावधान होता है। मगर इसकी जमीनी जांच नहीं हो पाती है। कारण कर्मचारियों की कमी है। यह बातें महापौर सुनील कुमार ने कहीं। उन्होंने कहा कि नगर निगम में नक्शा पास कराने का काम मात्र एक इंजीनियर और एक कर्मचारी के भरोसे है। यही वजह है कि कभी इसकी जांच संभव नहीं है।