सत्ता के लिए कुछ भी कर सकती है भाजपा: दीपांकर भट्टाचार्य
दीपंकर भट्टाचार्य ने कहा कि मोदी सरकार में देश का पैसा विदेश जा रहा है। एटीएम में पैसा नहीं है। किसान आत्महत्या कर रहे हैं। बिहार में भी आत्महत्याएं शुरू हो चुकी हैं।
भोजपुर [जेएनएन]। भाकपा माले के राष्ट्रीय महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य ने कहा कि चार साल पहले भाजपा ने भ्रष्टाचार खत्म करने, महंगाई कम करने, हर साल दो करोड़ रोजगार देने, किसानों की दशा सुधारने और महिलाओं की सुरक्षा का वादा किया था, पर जो कुछ कहा उसके उल्टा काम किया।
दीपांकर ने बिहार के भोजपुर जिले के आरा स्थित पटेल बस स्टैंड में जनाधिकार पदयात्रियों की सभा को संबोधित करते हुए कहा कि नरेन्द्र मोदी ने नोटबंदी करके लोगों को तबाह करके रख दिया। विदेश से पैसा तो नहीं ले पाए, लेकिन देश का पैसा विदेश जरूर जा रहा है। एटीएम में पैसा नहीं है। किसान आत्महत्या कर रहे हैं। बिहार में भी आत्महत्याएं शुरू हो चुकी हैं।
कठुआ गैंगरेप का जिक्र करते हुए भट्टाचार्य ने कहा कि आठ साल की बच्ची के साथ एक मंदिर में गैंगरेप होता है। जब पुलिस छानबीन में इस नृशंसता का पता चलता है, तो हिंदू एकता मंच के बैनर तले भाजपा का मंत्री तक बलात्कारियों को बचाने के लिए सामने आ जाता है। उन्नाव में भाजपा का मंत्री बलात्कार का आरोप लगाने वाली लड़की के पिता की हत्या करवा देता है। लोग अब समझने लगे हैं कि सत्ता के लिए ये लोग कुछ भी कर सकते हैं।
उन्होंने कहा कि भाजपा के खिलाफ अनुसूचित जाति,अकलियत, आदिवासी, छात्र, युवा और महिलाओं का असली मोर्चा बनेगा। जो युद्ध इन्होंने जनता पर थोपा है, हमने तय किया है कि इस युद्ध को जीतना है। गर्मी के मौसम और शादी-विवाह की व्यस्तताओं के बावजूद सैकड़ों गरीब, किसान, मजदूर, छात्र, युवा, महिलाएं जनाधिकार के लिए पटना की ओर चल पड़े हैं। समाज के विभिन्न तबकों के लोग जनाधिकार महासम्मेलन में शामिल होंगे। आने वाले समय में इनकी तादाद हजारों में होगी।
भट्टाचार्य ने कहा कि भाजपा, आरएसएस वाले लेनिन को विदेशी कहते हैं। जबकि लेनिन पूरी दुनिया के हैं। जहां भी मेहनतकशों की लड़ाई है, वहां लेनिन और माक्र्स हैं। हमें संघर्ष और बदलाव के लिए विचार चाहिए। ऐसे विचार जो नफरत, शोषण व उत्पीडऩ को खत्म करें और जनता की एकता को मजबूत बनाएं। मार्क्स ऐसे ही विचारक हैं। 5 मई को भाकपा-माले गांव-गांव उनकी तस्वीरों के साथ जुलूस निकालेगी और उनके विचारों की प्रासंगिकता के संदर्भ में जनता के साथ संवाद करेगी।
उन्होंने कहा कि गांव के लोग मशाल लेकर चल पड़े हैं। समाज में जो भी पीडित-उत्पीडि़त हैं, जो भी बदलाव चाहते है, जो भी मौजूदा सरकारों और इस व्यवस्था से त्रस्त हैं, उन्हें इस कारवां के साथ जुडऩा चाहिए।