ऋण स्वीकृति के बावजूद पशु खरीदने को दौड़ रहा किसान
भोजपुर । सरकार किसी की भी हो, यदि ईमानदारी से कोई जरूरतमंद शिक्षित बेरोजगार कुछ काम
भोजपुर । सरकार किसी की भी हो, यदि ईमानदारी से कोई जरूरतमंद शिक्षित बेरोजगार कुछ काम करना अथवा सरकारी योजनाओं का लाभ लेना चाहता है तो उसे किस हद तक विविध तरह की जटिलताओं का सामना करना पड़ता है इसकी एक बानगी जेएनयू जैसे चर्चित शैक्षणिक केन्द्र से एमएससी कमेस्ट्री की डिग्री लेकर लौटे महादलित परिवार से अजय कुमार हैं। इन्हें बैंक से ऋण स्वीकृत एक वर्ष पूर्व हुआ लेकिन आज भी जिला पशुपालन सह गव्य विकास विभाग में सिर्फ पशु खरीददारी हेतु एड़ी रगड़ना पड़ रहा है।
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क्या कहते हैं पीड़ित युवक अजय कुमार:
भोजपुर जनपद के पीरो प्रखंड के सुखरौली गांव के निवासी पीड़ित युवक ने उच्च शिक्षा के बाद नौकरी पेशा की बजाय समाज सेवा चुना। देश और मानवता के हित में जन, जल, जंगल, जानवर, जमीन की सेवा व सुरक्षा का निर्णय लिया। उद्देश्य के मद्देनजर गव्य विकास विभाग (पशुपालन) की योजना का चयन किया।
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योजना की स्वीकृति तक क्या-क्या हुई दुर्गति :
20 गायों के यूनिट की ऋण स्वीकृति हेतु वर्ष 2015 में जिला पशुपालन सह गव्य विकास विभाग में आवेदन डाला गया। योजना की स्वीकृति 20 जून 2015 को हुई। ऋण हेतु मध्य बिहार ग्रामीण बैंक की पीरो शाखा में भेजा गया। बैंक की जटिल प्रक्रियाओं को पूर्ण करने हेतु 28 कट्ठा जमीन बंधक रखना पड़ा। एक लाख रुपये का सिक्यूरिटी मनी जमा हुआ। अपर समाहर्ता पद से सेवानिवृत्त पिता का पेंशन और शिक्षिका पत्नी के वेतन के साथ भाइयों समेत पूरे परिवार को ग्रांटर बनना पड़ा। इसके पश्चात 31 दिसंबर 15 को बैंक ने ऋण स्वीकृत किया।
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ऋण स्वीकृत हुई लेकिन परेशानी नहीं हुई खत्म :
बैंक ने 21 जनवरी को शेड निर्माण हेतु तीन लाख रुपया का ऋण निर्गत किया। बैंक शेड निर्माण के निरीक्षणोपरांत 3 मार्च 16 को पशु खरीदारी हेतु गव्य विकास विभाग एवं बीमा कंपनी को तिथि तय करने को लिखा। बैंक के पुन: 17 मार्च तथा 21 अप्रैल को तीसरा पत्र लिखा। तीसरे पत्र में योजना फेल होने पर पूरी जिम्मेवारी की चेतावनी गव्य विकास विभाग को भेजा। लगभग 15 माह गुजर गया लेकिन उक्त फाइल 'कटी पतंग' की भांति पशुपालन से उप विकास आयुक्त एवं जिला पदाधिकारी तक हवा में गोते खा रही है। मंत्री सांसद से आला अधिकारियों के मौखिक लिखित आदेश राज्य के पशुपालन मंत्री, स्थानीय सांसद आर.के. सिंह के अलावे जिला पदाधिकारी व उप विकास आयुक्त के मौखिक, दूरभाष एवं लिखित आदेश के बावजूद जिला पशुपालन सह गव्य विकास विभाग के कान पर जूं तक नहीं रेंग रहा।
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क्या कहते हैं जिला पशुपालन पदाधिकारी डा. विजय कुमार सिंह : एक पखवारे पहले कहा गया कि एक सप्ताह में सभी ऋण स्वीकृत आवेदकों का काम हो जाएगा। विगत 18 जुलाई को पुन: पूछताछ पर जवाब मिला कि घबड़ाने की जरूरत नहीं है। जिला पदाधिकारी से निर्देश हेतु प्रक्रिया चल रही है। निर्देश प्राप्त होते ही पशु मेला से पशुओं की खरीदारी की जाएगी।