.. और पांच बजते ही गूंजा शंख, घंटी और थाली पीटने की आवाज
रविवार को दिन भर सड़कें सुनसान रहीं। मुहल्ले-मुहल्ले और गली-गली में जागरुकता और सावधानी का संदेश देने वाला सन्नाटा पसरा हुआ था।
आरा। रविवार को दिन भर सड़कें सुनसान रहीं। मुहल्ले-मुहल्ले और गली-गली में जागरुकता और सावधानी का संदेश देने वाला सन्नाटा पसरा हुआ था। फिजां में एकाएक शंख, घंटी और थाली पीटने की आवाज गूंज उठी। यह आलम शहर के उत्तरी छोर से दक्षिणी छोर और पूर्व से पश्चिमी तक एक सा रहा। मानो सभी को शाम पांच बजने का इंतजार हो। दिनभर की शांति और सूर्य की मखमली धूप में लोगों ने अपने-अपने बालकनी में निकलकर जनता कर्फ्यू का समर्थन किया। कोरोना वायरस के विरोधी जंग को ताल से ताल मिलाकर लड़ने का शंखनाद किया। कोरोना के विरोध में जागरुकता का अलख जगाया। क्लब रोड के राम सेवक श्रीवास्तव की नजर में 22 मार्च का दिन ऐतिहासिक है। 70 साल की जिदगी में ऐसा कर्फ्यू नहीं देखा। जिसे जनता ने स्वयं लगाई हो और सफल बनाया हो। यह स्वत: स्फूर्त है। जिसकी तैयारी आम लोगों ने सफल बनाने के लिए स्वयं की। 20 मार्च की शाम से ही लोगों ने जनता कर्फ्यू की तैयारी शुरू कर दी थी। 21 मार्च की शाम से पहले ही सड़कें सुनसान और 22 की जनता कर्फ्यू की तैयारी में लगे दिखे।