संगीत मर्मज्ञ के साथ मिलनसार व्यक्ति थे मैनुद्दीन खां
मशहूर उस्ताद मैनुद्दीन खां की चौथी पुण्यतिथि के अवसर पर नवादा मठिया में एक कार्यक्रम आयोजित किया गया।
आरा। मशहूर उस्ताद मैनुद्दीन खां की चौथी पुण्यतिथि के अवसर पर नवादा मठिया में एक कार्यक्रम आयोजित किया गया। अध्यक्षता मठिया के महंत छठी राम दास ने की। तस्वीर के माल्यार्पण के पश्चात वक्ताओं ने स्व. खां के व्यक्तित्व व संगीत के क्षेत्र में किये गए योगदान पर प्रकाश डाला। प्रो. बीएन राय ने कहा कि मैनुद्दीन साहब चर्चित किराना घराना के थे। वे संगीत के मर्मज्ञ के साथ मिलनसार व्यक्ति थे। उनमें किसी भी प्रकार का लोभ नहीं था। उनकी याद में हर साल आयोजन होना चाहिए। सुनील दत्त सिंह ने कहा कि खां साहब से बहुत कुछ सीखने को मिला। वे आपसी सौहार्द के प्रतीक थे। हमारे परिवार को आगे बढ़ाने के लिए हमेशा प्रेरित करते रहे। तबलावादक देवेश दूबे ठाकुर जी प्रांगण में पाठशाला की शुरुआत मैनुद्दीन साहब ने की थी। गुणवान व ज्ञानी होने के बावजूद उनमें अहं नहीं था। वे छोटे कलाकारों को सम्मान देते थे। देवानंद उपाध्याय ने कहा कि वे हमेशा समाज व देशहित की बात सोचते थे। उनके जीवन से बहुत कुछ सीखा जा सकता है। कार्यक्रम के प्रारंभ में मैनुद्दीन जी के पुत्र सह शिष्य निजामुद्दीन खां ने कहा कि वे रेयाज पर बहुत जोर देते थे। थोड़ी भी गलती होने पर डांट सुननी पड़ती थी। संगीत का कार्यक्रम लहरा से शुरू हुआ, जिसमें हारमोनियम पर छठी राम दास और तबले पर देवेश दूबे थे। राकेश कुमार मिश्रा ने राग अराणा में झपताल- कहत कली नाम तेरो..प्रस्तुत किया। महेश यादव राग मटियार विलंबित में बरनी न जाई शोभा निहारी..और जय किशोर सिंह ने मान न करिए..की प्रस्तुति की। नवोदित गायिका मुनेमा फिरदौस ने तुम्ही हो मात पिता तुम्ही हो..को गाया। निजामुद्दीन खां ने राग दरबारी में छोटा तीन ताल में जो गुरु कृपा करे कोटि पा कटत फल..को बहुत ही खूबसूरती के साथ प्रस्तुत किया। राजा बसंत बहार ने कैलाश के निवासी नम बार-बार.. और शेख कलामुद्दीन ने रहा गर्दिशों में हरदम मेरे इश्क का सितारा.. गाया। इनके अलावा बच्चा सिंह, हरिओम, नितीन प्रकाश, वेंकटेश सिंह, नागेन्द्रनाथ पांडेय, शत्रुध्न सिंह आदि ने भी अपना कला का प्रदर्शन किया। अंत में धन्यवाद ज्ञापन स्व. खां के छोटे पुत्र शेख मो. कलामुद्दीन ने किया।