राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की परिकल्पना के अनुरूप नहीं हैं बुनियादी विद्यालय
संवाद सूत्र, पीरो (भोजपुर): राजकीय बुनियादी विद्यालयों का अस्तित्व आज संकट में है। इन विद्यालयों
संवाद सूत्र, पीरो (भोजपुर): राजकीय बुनियादी विद्यालयों का अस्तित्व आज संकट में है। इन विद्यालयों की बदहाली के वैसे तो कई कारण गिनाए जा सकते हैं पर सबसे अहम बात यह है कि महात्मा गांधी के सिद्धांतों पर चलने का दावा करने वाली सरकारों ने कभी राष्ट्रपिता की इस विरासत को बचाने का कभी कोई प्रयास ही नहीं किया। ऐसे में अधिकांश बुनियादी विद्यालय अपने उद्देश्यों से भटक कर बदहाली का शिकार हो गए हैं।
बुनियादी विद्यालयों की क्या थी परिकल्पना :
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का मानना था कि राष्ट्र व समाज के विकास के लिए लोगों को स्वावलंबी बनाने की जरूरत है। इसके लिए उन्होंने रोजगारपरक शिक्षा की वकालत की थी। गांधी जी का मानना था कि यदि बच्चों को रोजगार परक शिक्षा प्रदान की जाए तो वे स्वावलंबी होने के साथ साथ राष्ट्र व समाज के विकास में सहायक होंगे। महात्मा गांधी के इस परिकल्पना को मूर्त रूप देने के लिए ही देश भर में बुनियादी विद्यालयों की स्थापना की गई थी। इन विद्यालयों में पढने वाले छात्रों को किताबी ज्ञान के साथ साथ कृषि, बागवानी, व कुटीर उद्योगों पर आधारित वस्तुओं के निर्माण की जानकारी देने की व्यवस्था थी। यहां नामांकित छात्र पढाई के साथ उत्पादक कार्यो में भी शामिल होते थे। इसके लिए इन विद्यालयों में विशेषज्ञ शिक्षकों की नियुक्ति का प्रावधान किया गया है।
बुनियादी विद्यालयों की हालिया स्थिति : ज्यादातर बुनियादी विद्यालय अपना अस्तित्व खोने के कगार पर है। सरकार की उदासीनता के कारण ज्यादातर बुनियादी विद्यालयों में विशेषज्ञ शिक्षक नहीं हैं। ऐसे शिक्षकों की बहाली के लिए पिछले काफी समय से सरकार के द्वारा कोई पहल भी नहीं की गई है। विशेषज्ञ शिक्षकों के अभाव में फिलहाल ज्यादातर बुनियादी विद्यालयों में नियोजित सामान्य शिक्षकों से काम चलाया जा रहा है ।
बंद हो गई बुनियादी शिक्षा : भोजपुर सहित सूबे के अधिकांश बुनियादी विद्यालयों में विशेषज्ञ शिक्षकों के अभाव में बागवानी, कृषि सहित कुटीर उद्योग आधारित वस्तुओं के निर्माण की शिक्षा बंद हो गई है। यहां नामांकित छात्र छात्राओं को जैसे तैसे सामान्य शिक्षा ही प्रदान की जा रही है। बिहार में 391 बुनियादी विद्यालय हैं । भोजपुर जिले में रजेया, सहार सहित सात बुनियादी विद्यालय स्थापित हैं।