जैन संतों को आकर्षित करता ऐतिहासिक शहर आरा
एक प्रतिनिधि, आरा : जैन धर्म के मानचित्र में आरा शहर का संपूर्ण भारत में महत्वपूर्ण स्थान है। यहां पर 25 शिखरबंद और 20 चैतालय मंदिर है। धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण होने के कारण आरा को 'मंदिरों का शहर' कहा जाता है।
इस शहर में जैन धर्म के कई संत चतुर्मास कर चुके हैं। धार्मिक महत्ता की वजह से यहां देश-विदेश से जैन धर्म के लोग सालों भर आते हैं।
शहर से लगभग 8 किलोमीटर दूर मसाढ़ गांव में जैन धर्म के 23 वें तीर्थकर 1008 पाश्र्र्वनाथ जी की आकर्षक प्रतिमा स्थापित है।
बताया जाता है कि पाश्र्र्वनाथ स्वामी बनारस से सम्मेद शिखर के लिए प्रस्थान किये थे तो मसाढ़ गांव में रूके थे। सन् 629-645 ई. तक भारत भ्रमण के दौरान चीनी यात्री ह्येूनसांग मसाढ़ आया था। उसने यात्रा वृतांत में मसाढ़ को जैन धर्म के लिए महत्वपूर्ण स्थान बताया है।
शहर के जेल रोड में विक्रम संवत 1555 में तीर्थकर श्री शांतिनाथ भगवान का विशाल मंदिर और समीप ही मुंशीखाना श्री 1008 पाश्र्र्वनाथ स्वामी का भव्य मंदिर का निर्माण हुआ था। बाद में श्रेयांश कुंवर ने विक्रम संवत 1929 को श्री शांतिनाथ मंदिर का जीर्णोद्धार कर नया रूप दिया।
यह मंदिर वास्तु कला की दृष्टि से अनुपम एवं दर्शनीय है। जेल रोड में ही श्री दिगम्बर जैन 1008 चन्द्रप्रभु मंदिर है। इस मंदिर में दो आकर्षक चैत्य वृक्ष है। इस मंदिर में 24 तीर्थकरों की प्रतिमाओं के अलावा एक मान स्तंभ है। इसी क्षेत्र में मैना सुन्दर धर्मशाला के समक्ष सुखानंद मंदिर बगीचे के मध्य है।
यह मंदिर देश भर में अपने ढंग का अनोखा व आकर्षक है। इस मंदिर में जैन धर्म के चौबीसों तीर्थकरों की प्रतिमाएं उनके शरीर के वर्ण के अनुसार हैं। अर्थात 16 तीर्थकरों की प्रतिमा स्वर्ण की तरह पीले वर्ण, 2 तीर्थकरों की प्रतिमाएं सफेद वर्ण, 2 तीर्थकरों लाल वर्ण, 2 तीर्थकरों की प्रतिमाएं नीले वर्ण और 2 तीर्थकरों की प्रतिमाएं हरे वर्ण की हैं।
स्थानीय शिवगंज में पावापुरी के चर्चित मंदिर की प्रतिकृति श्री महावीर स्वामी मंदिर है। यहां पर सुन्दर बगीचे से घिरे तालाब के मध्य में भगवान महावीर का मंदिर है। मंदिर में जाने के लिए एक छोटा सा पुल है।
स्थानीय महाजन टोली नंबर 2 में श्री नंदीश्वर द्वीप मंदिर है। विक्रम संवत 1989 में इसका निर्माण कराया गया था। इसमें 52 जिनालय है,जो दर्शनीय है। जैन बाला विश्राम परिसर में स्वाध्याय के ऊपर जैन तीर्थकर भगवान महावीर का अति सुन्दर शिखर बंद मंदिर है। इसी परिसर में भगवान बाहुबली स्वामी जी की लगभग 18 फुट ऊंची विशाल प्रतिमा है।
जयपुर के सफेद संगमरमर से निर्मित यह प्रतिमा कर्नाटक प्रांत के श्रवणबेला गोला में स्थापित भगवान गोमटेश्वर की बहुत सुन्दर प्रतिकृति है। यह उत्तर-पूर्व भारत में अपने ढंग की अनूठी प्रतिमा है। इस प्रतिमा के समक्ष भगवान आदिनाथ का 31 फुट ऊंचा सफेद धवल संगमरमर का मान स्तंभ है।
धनुपरा में ही भगवान पाश्र्र्वनाथ का मंदिर है। इसमें लगभग 4 फुट ऊंची पाश्र्र्वनाथ जी की पद्मासन प्रतिमा है। इस शहर के अन्य क्षेत्रों में भी जैन धर्म के अन्य मंदिर है, जो धार्मिक, ऐतिहासिक व कलात्मक रूप से मशहूर है। जैन समाज का महत्वपूर्ण स्थान होने के कारण शहर में कई धार्मिक आयोजन समय-समय पर होते रहता है।
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