Great Initiative: पुलिस से ही पढ़कर बन रहे दारोगा-डीएसपी, Free में पढ़ाते हैं SSP से लेकर DIG तक
विधि व्यवस्था के लिए जिम्मेवार पुलिस की एक अनूठी पहल न सिर्फ युवाओं की प्रतिभा को तराश रही बल्कि समाज को सकारात्मक संदेश भी दे रही है। पढ़ें कम्युनिटी पुलिसिंग की अनूठी पहल।
भागलपुर [बलराम मिश्र]। विधि व्यवस्था के लिए जिम्मेवार पुलिस की एक अनूठी पहल न सिर्फ युवाओं की प्रतिभा को तराश रही, बल्कि समाज को सकारात्मक संदेश भी दे रही है। भागलपुर पुलिस उन्हें विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए तैयार कर रही है। कम्युनिटी पुलिसिंग के तहत इसका मकसद वैसे अभ्यर्थियों को पढ़ाना है, जो कोचिंग की मोटी फीस चुकाने में असमर्थ हैं। हालांकि, यहां कोई भी पढ़ सकता है। पुलिस द्वारा चलाई जाने वाली इस कोचिंग के 200 से ज्यादा छात्र दारोगा बन चुके हैं। करीब 10 छात्र बिहार लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित सिविल सर्विसेज की परीक्षा में सफल हो चुके हैं।
पहले चयन, फिर खुले मैदान में पढ़ाई
कम्युनिटी पुलिसिंग की कक्षा के लिए अभ्यर्थियों को जिले के किसी भी थाने या पुलिस चौकी में रजिस्ट्रेशन कराना होता है। यह बिल्कुल फ्री होता है। इसके बाद टेस्ट सीरीज के आधार पर चयन होता है। फिर सैंडिस कंपाउंड के खुले मैदान में हर दिन सुबह सात बजे से तीन घंटे की कक्षा शुरू हो जाती है। इसमें थानेदार से लेकर एसएसपी-डीआईजी और जिला प्रशासन के अधिकारी भी कक्षा लेने आते हैं।
अभी 10 जिलों के अभ्यर्थी
इस समय भागलपुर समेत करीब 10 जिलों के अभ्यर्थी यहां आ रहे हैं। विभिन्न परीक्षाओं में चयनित जो अभ्यर्थी कोचिंग की भारी-भरकम फीस चुकाने में असमर्थ थे, उन्हें यहां से काफी लाभ मिला। दारोगा भर्ती परीक्षा के लिए नवंबर 2017 में पहली बार करीब 1700 अभ्यर्थियों ने रजिस्ट्रेशन कराया था।
बीपीएससी व यूपीएससी की भी तैयारी
01 दिसंबर, 2017 को तत्कालीन एसएसपी मनोज कुमार ने इसकी शुरुआत की थी। वर्ष 2018 में आशीष भारती भागलपुर के एसएसपी बने तो उन्होंने इसे विस्तार देते हुए बीपीएससी और यूपीएससी की तैयारी शुरू कराई। परीक्षार्थियों को पुस्तकें भी उपलब्ध कराईं। बीपीएससी की 60वीं और 62वीं परीक्षा में आलोक चंद्र चौधरी और राजकुमार चयनित हुए। दोनों अभी एसडीएम हैं। करीब 10 और छात्र डीएसपी व अन्य राजपत्रित अधिकारी पद के लिए चयनित हुए। हाल में ही हुई दारोगा की प्रारंभिक परीक्षा में यहां के 150 से ज्यादा छात्रों ने सफलता प्राप्त की है।
कहते हैं एसएसपी
इस तरह की कक्षा से उन प्रतिभावान छात्रों को सही प्लेटफाॅर्म मिल जाता है, जो आर्थिक तंगी की वजह से मुकाम हासिल नहीं कर पाते हैं। मुझे खुशी होती है, जब बच्चे परीक्षा में चयनित होते हैं। कक्षा चलाने में थोड़ा-बहुत जो भी खर्च होता है, हमलोग आपस में चंदा से पूरा कर लेते हैं।
- आशीष भारती, एसएसपी, भागलपुर