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तुलसी पूजा समारोह : युवा वर्ग पश्चिमी संस्कृति की ओर मुखातिब न हों

युवा सेवा संघ के कार्यकर्ताओं ने कचहरी चौक स्थित सत्संग भवन में मंगलवार को तुलसी पूजन दिवस मनाया। इस दौरान तुलसी पौधे की पूजा हुई। तुलसी पत्र पर तिलक लगाया गया।

By Dilip ShuklaEdited By: Published: Tue, 25 Dec 2018 08:16 PM (IST)Updated: Tue, 25 Dec 2018 08:16 PM (IST)
तुलसी पूजा समारोह : युवा वर्ग पश्चिमी संस्कृति की ओर मुखातिब न हों
तुलसी पूजा समारोह : युवा वर्ग पश्चिमी संस्कृति की ओर मुखातिब न हों

भागलपुर (जेएनएन)। युवा सेवा संघ के कार्यकर्ताओं ने कचहरी चौक स्थित सत्संग भवन में मंगलवार को तुलसी पूजन दिवस मनाया। इस दौरान तुलसी पौधे की पूजा हुई। तुलसी पत्र पर तिलक लगाया गया। पुष्प और जल अर्पण कर तुलसी पौधे की परिक्रमा की। आरती की गई। इस दौरान सभी कार्यकर्ताओं ने भारतीय संस्कृति की रक्षा का संकल्प लिया। आयोजित कार्यक्रम में तुलसी पौधे की विशेषताएं बताई गई।

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इस दौरान सभी को छोटे-छोटे गमले में लगा तुलसी पौधा भेंट किया गया। प्रसाद वितरण किया गया। कार्यक्रम के बाद भंडारा भी आयोजित की गई। इस अवसर पर डेढ़ सौ लोग उपस्थित थे। कार्यक्रम को सफल बनाने में नीतीश यादव, रमेश साह, रोशन, मंगल, मुकेश, विक्की, साकेत घोष, प्यारे हिन्द आदि ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसी दौरान सभी ने 14 फरवरी को मातृ-पितृ पूजन दिवस मनाने का निर्णय लिया गया।

इस अवसर पर वक्ताओं ने कहा कि हिंदू ही एकमात्र ऐसा धर्म है जो सर्वधर्म समभाव रखता है, सर्वे भवन्तु सुखिन: का उद्घोष करता है। लेकिन आज जरूरत है अपनी संस्कृति को बचाने का। क्योंकि हिन्दू संस्कृति को नष्ट करने के लिए आज भी लोग लगे हुए हैं। लेकिन उन्हें क्या पता यह सनातन संस्कृति है, इसे नष्ट नहीं किया जा सकता।

आज युवाओं के उपर महती जिम्मेदारी है कि युवा वर्ग पश्चिमी संस्कृति की ओर मुखातिब न हों। भारत की अपनी सांस्कृतिक पहचान है। आज सभी देश भारत का अनुसरण कर रहे हैं। गीता पढ़ते हैं। गीता के प्रत्येक शब्दों पर अन्य देश व्याख्या कर रही है। भारतीय संस्कृति की ओर सभी आकर्षित हो रहे हैं। इसी संस्कृति में शांति, सद्भाव, सम्मान और प्यार मिलता है।

यही संस्कृति विश्व को सुरक्षित रख सकती है। अपराध, आतंक और बीमारी से मुक्ति दिला सकती है। आपसी प्रेम और सद्भाव जगाने का समार्थ्य हिन्दू संस्कृति में ही है। हिन्दू संस्कृति सभी प्राणियों की रक्षा के लिए संकल्पित है। यहां गाय की पूजा होती है। गाय ही नहीं सभी पशु, पक्षी, पौधे, नदियां, प्राकृतिक संपदा की रक्षा करना हिन्दू संस्कृति की पहचान है। पर्यावरण की रक्षा के लिए तुलसी और पीपल के पौधे की पूजा करता है। पौधरोपण करना, पशुपालन करना और खेती करना इसी संस्कृति की देन है। भारत की पहचान हिन्दू संस्कृति से ही है। यह संस्कृति भारत को भूमि का टुकड़ा नहीं, बल्कि मातृभूमि कहता है। सभी में देशभक्ति प्रेरित करता है। देश के लिए खुद को समर्पित कर देने का सीख हिन्दू संस्कृति ही देती है। हिन्दू धर्म अन्य सभी मत और संप्रदाय के प्रति धृणा नहीं करता। 


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