विश्व पर्यटन दिवस : पौराणिक, ऐतिहासिक और धार्मिक दृष्टिकोण से समृद्ध है लखीसराय, बौद्ध व रामायण सर्किट से जोड़ा जाए
विश्व पर्यटन दिवस बिहार के लखीसराय में पर्यटन विकास की काफी संभावनाएं हैं। उद्योग के रूप में भी यह जिला विकसित किया जा सकता है। श्रृंगीऋषि धाम के बारे में कहा जाता रहा है कि महाराज ने यहीं पर पुत्रेष्टि यज्ञ के अनुष्ठान के कारण हुआ था।
मृत्युंजय मिश्रा, लखीसराय। विश्व पर्यटन दिवस : लखीसराय में पर्यटन विकास की अपार संभावनाएं हैं। पर्यटन को उद्योग के रूप में विकसित करके इस जिले को पर्यटक स्थल के रूप में विकसित किया जा सकता है। इससे यहां समृद्धि के नए द्वार खुल सकते हैं। पौराणिक, ऐतिहासिक और धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण इस स्थल को संरक्षित करके पर्यटक केंद्र के रूप में विकसित करने की दरकार है। इससे सिर्फ लखीसराय ही नहीं बिहार के दिन भी बहुरंगे हो सकते हैं। बिहार सरकार अब पर्यटन स्थलों की खोज करके उसको संरक्षित और विकसित करते हुए साइलेंट इंडस्ट्री का रूप दे रही है। ऐसे में लखीसराय को भी इसमें शामिल किया जा सकता है।
चूंकि यहां भी धार्मिक, ऐतिहासिक व पौराणिक स्थल है। इस जिले को बौद्ध सर्किट से जोडऩे की पहल चल रही है। यहां जयनगर लाल पहाड़ी पर महिला बौद्ध साधना केंद्र के अवशेष मिले हैं। बौद्ध से जुड़ी अन्य स्मृतियों के भी यहां साक्ष्य मिले हैं। राज्य सरकार इस आधार पर इस जिले को बौद्ध सर्किट से जोडऩे की योजना पर काम कर रही है। यह स्थल रामायण काल से भी जुड़ा हुआ है। श्रृंगीऋषि धाम इसी जिले में है जहां के बारे में कहा जाता रहा है कि भगवान श्रीराम सहित चोरों भाईयों का जन्म राजा दशरथ द्वारा यहीं पर पुत्रेष्टि यज्ञ के अनुष्ठान के कारण हुआ था। यदि बौद्ध सर्किट के साथ रामायण सर्किट से इस जिले को जोड़ दिया जाए तो पर्यटन के क्षेत्र में इस जिले के दिन बहुरंगे होंगे। बिहार के कई जिले बौद्ध एवं रामायण सर्किट से जोड़े जा रहे हैं।
धार्मिक स्थलों को भी बनाया जा सकता है पर्यटक स्थल
जम्मू स्थित मां वैष्णो देवी धाम के संस्थापक श्रीधर ओझा द्वारा आदि काल में बड़हिया में मां बाला त्रिपुर सुंदरी धाम की स्थापना की गई थी। आज भी यह धाम शक्ति स्थल के रूप में विराजमान हैं। लखीसराय शहर के वार्ड नंबर एक में श्रीइंद्रदमनेश्वर महादेव मंदिर अशोकधाम में विशाल शिवधाम है। सूर्यगढ़ा के कटेहर गांव में पौराणिक बाबा गौरीशंकर धाम है जो कभी सिद्धपीठ तांत्रिक स्थल हुआ करता था। अभयपुर बेनीपुर में मनसा विषहरी स्थान है जो नाग स्थल के रूप में ख्याति प्राप्त रहा है।
बौद्ध सर्किट का होगा विकास
शहर के किनारे से होकर बहने वाली किऊल नदी की दोनों तरफ पहाड़ी श्रृंखला है। जयनगर लाली पहाड़ी एक तरफ तो दूसरी तरफ घोषी कुंडी और बिछवे पहाड़ी है। तीनों पहाड़ी महात्मा गौतम बुद्ध से जुड़ी है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार खुद यहां आकर तीनों पहाड़ी को आपस में जोड़कर बौद्ध सर्किट में शामिल करने की बात कह चुके हैं। उन्होंने इसका डीपीआर बनाने का तत्काल आदेश भी दिया था। यहां मिले अवशेषों को संरक्षित एवं सुरक्षित रखने के साथ ही पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए विश्वस्तरीय संग्रहालय का निर्माण कराया जा चुका है। अब जरूरत इस पर पहल करने की है।
रामायण सर्किट से जोडऩे की पहल
केंद्र सरकार भगवान श्रीराम से जुड़े स्थलों को आपस में जोड़कर रामायण सर्किट बना रही है। बिहार के सीतामढ़ी, बक्सर सहित कई क्षेत्र इसमें शामिल हैं। इसमें लखीसराय को भी शामिल किया जा सकता है। यहां रमणीक स्थल श्रृंगीऋषि धाम है। जहां अयोध्या के राजा दशरथ ने आकर संतान प्राप्ति के लिए ऋषि श्रृंग के आश्रम में उनके हाथों यज्ञ कराया था। यदि इस स्थल को रामायण सर्किट से जोड़ दिया जाए तो यह स्थल राष्ट्रीय पर्यटक केंद्र के रूप में विकसित हो सकता है।