'स्मार्ट' नहीं बन सका भागलपुर स्मार्ट सिटी, लेकिन भरता रहा खजाना
भागलपुर स्मार्ट सिटी लिमिटेड के परामर्शदातृ समिति के अध्यक्ष सांसद शैलेश कुमार उर्फ बुलो मंडल हैं। समिति की पांच बैठकों में उनकी उपस्थिति एक बार भी नहीं हो पाई।
भागलपुर [जितेंद्र कुमार]। ढाई वर्ष बाद भी स्मार्ट सिटी स्मार्ट नहीं बन पाया है। स्मार्ट सिटी की विभिन्न योजनाएं विवादों में उलझी हुई है। योजनाओं को धरातल पर उतारने के लिए निविदा दर निविदा होती रही, लेकिन धरातल पर काम नहीं उतर पाया। कारगर कार्य योजना तैयार करने में प्रशासन भी विफल साबित हुआ है। जनप्रतिनिधियों ने तो स्मार्ट सिटी योजनाओं की खबर तक नहीं ली। स्मार्ट योजना की राशि को खर्च करने के लिए जनप्रतिनिधि प्रशासन पर दवाब तक नहीं बना सके।
भागलपुर को टॉप सौ शहरों में शामिल करने के लिए स्मार्ट सिटी योजना में शामिल किया गया। केंद्र सरकार ने 2017 तक 382 करोड़ रुपये उपलब्ध करा दिया। बैंक में राशि रखे रहने के कारण ब्याज मिलने पर राशि 400 करोड़ हो गई है। लेकिन अभी तक मात्र 11 करोड़ ही खर्च हो पाया है।
जबकि भागलपुर स्मार्ट सिटी लिमिटेड के परामर्शदातृ समिति के पदेन अध्यक्ष सांसद शैलेश कुमार उर्फ बुलो मंडल हैं। समिति की पांच बैठकों में उनकी उपस्थिति एक बार भी नहीं हो पाई। कार्य में विलंब क्यों हो रहा है, इसको लेकर एक बार भी जिम्मेदार अधिकारियों से सवाल-जवाब भी नहीं किया गया। 1300 करोड़ रुपये की स्मार्ट सिटी योजना में लापरवाही को लेकर स्थानीय स्तर से लेकर संसद तक आवाज बुलंद भी नहीं किया गया।
लिहाजा भागलपुर बिहार का पहला स्मार्ट सिटी होने के बाद भी पटना, मुजफ्फरपुर और बिहार शरीफ से पिछड़ गया। कंट्रोल एंड कमांड केंद्र का प्रोजेक्ट अधिकारियों की बीच लड़ाई के कारण उलझ गया है। इधर दो वर्षो में जितने भी संसाधन शहर के विभिन्न स्थानों पर लगाए गए थे, वे सारे उजड़ गए हैं।
कंसलटेंसी कंपनी बनी बाधक
अगस्त में 2017 में स्मार्ट सिटी योजना तैयार करने के लिए कंसल्टेंसी यानी पीडीएमसी का चयन किया गया। पीडीएमसी को 20 के करीब एक्सपर्ट के साथ शहर के विकास का रोडमैप तैयार करना था। लेकिन कंपनी छह एक्सपर्ट के साथ ही कार्य योजना तैयार करती रही। हाल ही में कंपनी को कार्यमुक्त कर दिया गया।
नहीं पहुंची एजेंसी, रद हुई निविदा
सैंडिस कंपाउंड की चारदीवारी, इंडोर स्टेडियम में कोर्ट का निर्माण, जिम भवन, जीरोमाइल चौक पर वीर कुंवर सिंह की प्रतिमा के आसपास सौंदर्यीकरण, सोलर स्ट्रीट लाइट, हाइमास्ट लाइट और चौराहों आदि पर मंजूषा पेंटिंग आदि की निविदा 12 मार्च को निकाली गई थी। एजेंसी नहीं पहुंचने से रद हो गई।
योजना के वर्तमान हालात
कबाड़ में जैविक खाद प्लांट : निगम के गोदाम में एक वर्ष से दो सेट जैविक खाद प्लंाट रखा हुआ है। इससे एक टोकरी खाद भी तैयार नहीं हुआ।
बायोटॉयलेट : गोदाम में 10 सेट बायोटॉयलेट रखा हुआ है। ड्रम में रखे केमिकल के खराब होने की संभावना बढ़ गई है। इसे नागरिक सुविधा के लिए नहीं लगाया गया है। जबकि खुले में शौच मुक्त के लिए निगम कार्य कर रही है।
ओपन जिम : सैंडिस कंपाउंड में 10 ओपन जिम उपकरण पर लगभग पांच लाख रुपये खर्च किए गए। लेकिन, रख-रखाव के अभाव में उपकरण क्षतिग्रस्त हो गया है। इसके रखरखाव को लेकर कोई कवायद नहीं हुई।
फव्वारा : सैंडिस कंपाउंड में स्मार्ट सिटी योजना से फव्वारा बनाया गया है। मार्च 2017 में यह बनकर तैयार हुआ। लेकिन, निर्माण के बाद फव्वारा बंद पड़ा है। इसके आसपास जंगल झाड़ उग आए है। डिजीटल लाइट भी खराब है।
बच्चों के झूले भी टूटे : सैंडिस कंपाउंड, लाजपत पार्क, चिल्ड्रेन पार्क और बूढ़ानाथ पार्क में बच्चों के मनोरंजन के लिए झूले लगाए गए। देखभाल के अभाव में सैंडिस कंपाउंड का झूला क्षतिग्रस्त हो गया।
खराब पड़े है डिस्प्ले स्क्रीन : लाजपत पार्क में डिस्प्ले स्क्रीन लगाने के बाद खराब हो गई है। डेढ़ वर्ष से इसका मरम्मत नहीं किया जा सका। वहीं सैंडिस कंपाउंड के बाहर स्क्रीन लगाने के बाद चालू नहीं किया जा सका।
गोदाम में पड़ा है बैरियर : निगम के गोदाम में दो दर्जन से अधिक ट्रैफिक बैरियर रखा हुआ है। इसका इस्तेमाल नहीं किया जा सका है। तिलकामांझी चौक पर आधा दर्जन बैरियर का उपयोग, लेकिन एक वर्ष में क्षतिग्रस्त हो गया।
ट्रैफिक सिग्नल लाइट खराब : तिलकामांझी चौक पर डेढ़ माह से ट्रैफिक सिग्नल लाइट खराब होने से यातायात व्यवस्था पर असर पड़ा है। चौक से गुजरने वाले वाहन आपस में टकरा रहे हैं। स्मार्ट सिटी योजना से डेढ़ वर्ष पूर्व लगाया गया था।
रिफ्यूज कंपेक्टर का नहीं हुआ इस्तेमाल : संयुक्त भवन परिसर में रिफ्यूज मिनी कंपेक्टर मशीन रखा हुआ है। इसे कूड़ा निस्तारण के लिए लिए इस्तेमाल किया जाना था। इसके लिए जगह भी उपलब्ध नहीं कराया जा सका है।
शौचालय शेड भी क्षतिग्रस्त : शहर के मुख्य मार्गो पर एल्यूमुनियम शेड वाले शौचालय का निर्माण किया गया है। इसमें असमाजिक तत्वों ने क्षतिग्रस्त कर दिया। इसका शीट तक उखाड़ कर साथ ले गए।
यात्री शेड का नहीं हुआ उपयोग
निगम परिसर में स्टील वाले यात्री शेड का संसाधन रखा हुआ है। 10 सेट यात्री शेड रखा हुआ है। इसका उपयोग नहीं किया गया है।