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Corona effect : डीपीओ कार्यालय में कामकाज शुरू, गुरुवार तक डीईओ भी लौटेंगे

लॉकडाउन के कारण कम ही लोग पहुंचे। शिक्षकों का कहना है कि उन दो-महीने का वेतन और करीब दौ सौ शिक्षकों का पांच महीने का वेतन भी बकाया है।

By Dilip ShuklaEdited By: Published: Wed, 29 Jul 2020 09:56 AM (IST)Updated: Wed, 29 Jul 2020 09:56 AM (IST)
Corona effect : डीपीओ कार्यालय में कामकाज शुरू, गुरुवार तक डीईओ भी लौटेंगे
Corona effect : डीपीओ कार्यालय में कामकाज शुरू, गुरुवार तक डीईओ भी लौटेंगे

भागलपुर, जेएनएन। लॉकडाउन और जिला शिक्षा पदाधिकारी सहित तीन कर्मियों की रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद जिला शिक्षा कार्यालय बंद था। इस बीच मंगलवार को डीपीओ ऑफिस खुल गए। सभी डीपीओ ने कामकाज मंगलवार से शुरू कर दिया। गुरुवार तक डीईओ के भी योगदान करने की उम्मीद है। अभी सबसे जरूरी कार्य में शिक्षकों का वेतन का भुगतान करना है। इसके अलावा करीब दो सप्ताह से डाक द्वारा आये पत्रों पर आगे की कार्रवाई की गई। एमडीएम के काम में सुस्ती को लेकर मुख्यालय ने नाराजगी जताई थी। अब इसमें तेजी आने की उम्मीद है। कार्यालय में पदाधिकारियों के आने के बाद से शिक्षकों का भी कार्यालय में आना-जाना शुरू कर दिया गया है। हालांकि, लॉकडाउन के कारण कम ही लोग पहुंचे। शिक्षकों का कहना है कि उन दो-महीने का वेतन और करीब दौ सौ शिक्षकों का पांच महीने का वेतन भी बकाया है। जल्द भुगतान होने की उम्मीद दिख रही है।

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कोरोना मरीजों का इलाज करने वाले जूनियर डॉक्टरों की जान सांसत में

मायागंज अस्पताल के कोरोना वार्ड में फिर मरीजों का इलाज जूनियर डॉक्टरों के भरोसे हो गया है। हालांकि, कोरोना मरीज के इलाज में जूनियर डॉक्टर को नहीं लगाना है। इस बावत स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव ने पत्र देकर मना किया है। यह आदेश उस समय हुआ था जब इलाज के दौरान एक पीजी डॉक्टर कोरोना संक्रमित हो गया था। प्रधान सचिव उदय सिंह कुमावत ने सात जुलाई को राज्य के मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य और अस्पताल अधीक्षक  को पत्र दिया। पत्र में इस बात का उल्लेख किया है कि कोरोना मरीजों का इलाज जूनियर डॉक्टरों से कराया जा रहा है।  इसलिए  मरीजों की मौत हो रही है। क्योंकि जूनियर डॉक्टरों को कोरोना मरीजों के इलाज करने का अनुभव नहीं है। सह प्राध्यापक स्तर के डॉक्टरों की देखरेख में कोरोना मरीजों का इलाज हो।

इमरजेंसी में नहीं मिलता किट

मायागंज अस्पताल की इमेजेंसी में ड्यूटी करने  वाले जूनियर डॉक्टरों को पीपीई किट नहीं मिली है। जबकि वहां इलाज करवाने आया कौन मरीज कोरोना संक्रमित है, जानकारी नहीं रहती। इससे डॉक्टरों में भय बना रहता है। अस्पताल अधीक्षक डॉ अशोक भगत ने कहा कि पीपीई किट उन्हीं डॉक्टरों को मिलता है, जिनकी डयूटी कोरोना वार्ड में है।

मुख्‍य बातें

- स्वास्थ्य विभाग के आदेश भी मेडिकल कॉलेज में दरकिनार

- फिर जूनियर डॉक्टरों की ड्यूटी कोरोना वार्ड में लगाई

- इमरजेंसी में बिना पीपीई किट के मरीजों का कर रहे इलाज


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