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पूर्व बिहार में महिलाओं को नहीं मिली राजनीतिक हिस्सेदारी

प्रतिनिधित्व के लिहाज से आधी आबादी अब भी विधानसभा विधान परिषद लोकसभा व राज्यसभा में हाशिये पर है। लोस चुनाव में भी एनडीए व महागठबंधन ने उम्मीदवारों की सूची में महिलाएं नदारत हैं।

By Dilip ShuklaEdited By: Published: Wed, 27 Mar 2019 11:47 AM (IST)Updated: Thu, 28 Mar 2019 03:35 PM (IST)
पूर्व बिहार में महिलाओं को नहीं मिली राजनीतिक हिस्सेदारी
पूर्व बिहार में महिलाओं को नहीं मिली राजनीतिक हिस्सेदारी

भागलपुर [संजय सिंह]। लोकसभा चुनाव में कोई भी पार्टी महिलाओं को 33 फीसद तो क्या 10 फीसद भी टिकट नहीं देती। राज्य की महिलाओं के लिए 1984 का चुनाव स्वर्णिमकाल के समान था। तब सर्वाधिक नौ महिलाएं पूरे राज्य से सांसद चुनी गई थीं। 1999 में भी अधिकतम पांच महिलाएं ही लोकसभा तक पहुंच सकी थीं। इसके बाद महिलाओं का ग्राफ दो, तीन, चार के बीच सिमटा रहा।

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प्रतिनिधित्व के लिहाज से आधी आबादी अब भी विधानसभा, विधान परिषद, लोकसभा और राज्यसभा में हाशिये पर है। इस लोकसभा चुनाव में भी एनडीए और महागठबंधन ने उम्मीदवारों की सूची जारी कर दी है। लेकिन पूर्व बिहार के पांच लोकसभा क्षेत्र भागलपुर, जमुई, मुंगेर, बांका और खगड़िया से आधी को आबादी को टिकट नहीं मिला। हैरानी तो इस बात की है कि भागलपुर संसदीय सीट से आज तक कोई महिला सांसद नहीं चुनी गई। जदयू कोटे से कहकशां परवीन राज्यसभा में जरूर प्रतिनिधित्व कर रही हैं। सर्वाधिक महिला सांसद बांका लोकसभा क्षेत्र से हुईं।

बांका की शकुंतला देवी और मनोरमा सिंह को संसद में दो बार प्रतिनिधित्व करने का मौका मिला। मनोरमा सिंह के पति चंद्रशेखर सिंह बिहार के मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्रिमंडल के सदस्य रह चुके थे। वे बांका के सांसद भी थे। इस कारण इस इलाके में उनका प्रभाव था। यही कारण है कि मनोरमा सिंह को भी संसद बनने का मौका मिला। बांका से चुने गए सांसद दिग्विजय सिंह के निधन बाद 2009 के उपचुनाव में उनकी धर्मप}ी पुतुल कुमारी सांसद बनीं। उनके समर्थक इस चुनाव में भी एनडीए से टिकट मिलने की उम्मीद लगाए बैठे थे। लेकिन समर्थकों को निराश होना पड़ा। हालांकि वे स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ने जा रही हैं। 1952 से 2009 तक हुए लोकसभा के चुनावों में मुंगेर में भी किसी महिला को संसद में प्रतिनिधित्व करने का मौका नहीं मिला।

2014 में बिहार के दबंग कहे जाने वाले सूरजभान की पार्टी वीणा देवी को लोजपा प्रत्याशी बनाया गया और वे चुनाव जीत भी गईं। लेकिन एनडीए में शामिल अन्य दलों के बीच सीटों को लेकर हुए तालमेल में यह सीट जदयू के खाते में चली गई। जदयू के उम्मीदवार राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह चुनाव मैदान में हैं। सीट तालमेल में मुंगेर के बदले लोजपा को नवादा की मिली, पर बीणा देवी यहां से उम्मीदवार नहीं बनाई गई हैं। हां यहां से उनके देवर यानी सूरजभान के भाई चंदन सिंह को उम्मीदवार बनाया गया है।

राजनीतिक रूप से सजग खगड़िया में भी महिलाओं को लोकसभा जाने का अवसर कम ही मिला। 1999 में समता पार्टी की ओर से रेणु कुमारी उम्मीदवार बनीं और चुनाव जीतने में सफल रहीं। नक्सल प्रभावित क्षेत्र जमुई लोकसभा क्षेत्र से अब तक कोई महिला प्रतिनिधि संसद में नहीं पहुंच पाई। लेकिन यह हैरान करने वाली बात है कि जमुई की ही दो बहुएं मनोरमा सिंह और पुतुल कुमारी बांका की सांसद हुई।


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